जानें हड्डियों की मजबूती के लिए सिर्फ कैल्शियम ही नहीं खाने में ये चीजें भी हैं जरूरी

अगर आपको शरीर में जगह जगह दर्द रहता है, दांतों की दिक्कत है, नाखून जल्दी टूटते हैं या कमजोरी महसूस होती है तो यह लक्षण कमजोर हड्डियों की तरफ इशारा कर रहे हैं। लेकिन घबराएं नहीं, इस लेख में मैं आपसे शेयर करूंगा हड्डियों के कमजोर होने के कुछ ऐसे कारण जिनकी कोई बात नहीं करता। साथ में बात करेंगे कि क्या खाएं और क्या ना खाएं ताकि हमारी हड्डियां और जोड़ मजबूत और स्वस्थ रहें। 

और दोस्तों लेख  के आखिर में मैं आपसे शेयर करूंगा एक घरेलू आयुर्वेदिक सप्लीमेंट जिसका अगर आप दो महीने लगातार सेवन कर लें तो आपकी हड्डियों की डेंसिटी बढ़ेगी और बोन और जॉइंट्स इतने मजबूत हो जाएंगे कि फिर आपको अर्थराइटिस और गाउट जैसी समस्याओं के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। आइए तो फिर बिना किसी देरी के शुरू करते हैं। 

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जानें हड्डियों की मजबूती के लिए सिर्फ कैल्शियम ही नहीं खाने में ये चीजें भी हैं जरूरी


हड्डियों की 3 तरह की समस्याएं 

दोस्तों हमारे शरीर का पूरा ढांचा हड्डियों पर ही टिका है। अगर हड्डियां ही कमजोर हो जाएं तो पूरे शरीर में तरह तरह की दिक्कतें शुरू हो जाती हैं। सामान्यतः देखा जाए तो लोगों को तीन तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। 

पहली है प्रदाह या इन्फ्लेमेशन। दोस्तों, हड्डियों और जोड़ों में जब भी इंफ्लेमेशन होती है तो शरीर इसका सिग्नल दर्द के रूप में देता है। अगर आपने पेन किलर खाकर इस दर्द को दबा दिया तो यही इंफ्लेमेशन आगे जाकर अर्थराइटिस और गाउट जैसी गंभीर बीमारियों का कारण भी बन सकती है। 

दूसरा है हड्डियों का कमजोर हो जाना। ये तब होता है जब गलत खानपान और लाइफस्टाइल से खून अम्लीय हो जाता है और उसे बेअसर करने के लिए शरीर हड्डियों में से कैल्शियम निकालने लगता है। इससे आपकी बोन डेंसिटी कम हो जाती है, हड्डियां पतली होने लगती हैं, शरीर में कमजोरी आती है, चलने फिरने में दर्द महसूस होने लगता है, पोस्चर बिगड़ जाता है, हल्की सी चोट लगने से ही फ्रैक्चर की नौबत तक आ जाती है। 

तीसरी समस्या जो जोड़ों और हड्डियों को लेकर जिसका लोग अक्सर सामना करते हैं वो ये कि जोड़ों की ग्रीसिंग  कम हो जाती है। यानी जोड़ों में जो चिकनाई होनी चाहिए सुचारू गति के लिए वो नहीं रहती। ये तब होता है जब कार्टिलेज जिसका काम है जोड़ों  को आराम और सुरक्षा प्रदान करना, वो डी जनरेट होने लगता है। 

इस वजह से जो जोड़ों की हड्डियों के दो सिरे हैं, वो आपस में टकराने लगते हैं। आसान भाषा में कहें तो जोड़ों में सूखापन आ जाता है। कई बार आपने देखा होगा कि लोग जब उठते बैठते हैं तो उनके जोड़ों में से खटखट की आवाज आती है, ये इसी सूखेपन का ही शुरुवाती लक्षण है। 


हड्डियों के लिए महत्वपूर्ण पोषण

दोस्तों, जब हम हड्डियों की बात करते हैं तो सबसे पहले ख्याल आता है कैल्शियम का। और यह बात सही है कि कैल्शियम ही वो मिनरल है जो हड्डियों को घनत्व और ताकत प्रदान करता है। अगर शरीर में कैल्शियम की कमी हो जाए तो हड्डियां पतली होने लगती हैं। लेकिन इसके अलावा विटामिन डी, मैग्नीशियम और प्रोटीन भी हड्डियों और जोड़ों के लिए महत्वपूर्ण पोषक तत्व हैं। 


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कमजोर हड्डियाँ - गलतियाँ

अब या तो हमारा खानपान अच्छा नहीं है। उस केस में तो हड्डियों को जो सही पोषक तत्व चाहिए, वो मिल ही नहीं पाता। लेकिन कई बार हम सब कुछ खाते हुए भी ऐसी गलतियां कर जाते हैं, जिस वजह से हमारा शरीर इन महत्वपूर्ण पोषक तत्वों को एब्जॉर्ब नहीं कर पाता। 

जैसे दोस्तों लगभग सभी दालों में ही कैल्शियम, मैग्नीशियम और प्रोटीन पर्याप्त मात्रा में होता है। लेकिन अक्सर ही हम धुली दालों को बिना भिगोए बना देते हैं। ऐसे में जो दालों में साइट्रिक एसिड जैसे एंटी न्यूट्रिएंट्स होते हैं वो इन आहारों  के कैल्शियम से बाइंड करके उन्हें शरीर में एब्जॉर्ब नहीं होने देते। इसलिए राजमा, छोले, चना, मूंग, मोठ और उड़द जैसी दालें नियमित खाएं, लेकिन पहले छह घंटे के लिए भिगो जरूर लें। 

इसी तरह बहुत ज्यादा चाय और कॉफी पीने वाले लोगों की भी हड्डियां उम्र से पहले ही कमजोर हो जाती हैं। खास करके जब हम खाने के बाद चाय कॉफी पीते हैं तो इन पेयों में जो टैनिन और कैफीन है वो प्रोटीन के अवशोषन में बाधा डालता है और हड्डियों का 50 परसेंट हिस्सा प्रोटीन से ही बनता है। 

दूध, दही, पनीर में आपको न सिर्फ प्रोटीन मिलेगा बल्कि भरपूर मात्रा में कैल्शियम भी मिलेगा। एक और गलती जो लोग करते हैं वो ये कि वह सूखे मेवे को बिना भिगोए खाते हैं। 

दोस्तों, बादाम अखरोट और काजू इन तीनों में ही हेल्दी फैटी एसिड होते हैं जो ज्वाइंट्स की ड्राईनेस को खत्म कर चिकनाई को बढ़ाते हैं। लेकिन अगर हम इन्हें बिना भिगोए खाएंगे तो एक तो ये और ड्राइनेस करेंगे और दूसरा शरीर में गर्मी कर देंगे। वहीं अगर आप रोज 2 से 4 भिगोए हुए बादाम छिलका उतार कर खाएं तो आपकी हड्डियों को बहुत फायदा होगा। 

फिर कभी कभी लोग बिल्कुल ही तेल खाना बंद कर देते हैं ये सोचकर कि मोटापा न बढ़ जाए। लेकिन दोस्तों ये आपके जोड़ों के लिए बिल्कुल भी सही नहीं। कैल्शियम को एब्जॉर्ब होने के लिए भी तेल चाहिए। तभी तो जो लोग कैल्शियम की गोलियां पानी से लेते हैं उन्हें फायदा नहीं होता, उल्टा पथरी बनती है। 

हां ये बात जरूर है कि आपको रिफाइंड तेल का  इस्तेमाल करना बिल्कुल बंद कर देना चाहिए और उसकी जगह शुद्ध कच्ची घानी का निकला कोल्ड प्रेस तेल में ही सब्जियां बनाकर खानी चाहिए। इसके अलावा ज्यादा इमली की चटनी, चाट, गोलगप्पे खाने से, सोडा, कोल्ड ड्रिंक पीने से हड्डियां अंदर से खुलने लगती हैं। 

लेकिन दोस्तों घबराएं नहीं आज मैं आपसे शेयर करना चाहता हूं आयुर्वेद की संहिताओं में उल्लेखित एक ऐसा सप्लीमेंट जो न सिर्फ आपकी हड्डियों और जोड़ों को अंदर से मजबूत बनाएगा बल्कि किसी भी तरह का दर्द हो, अर्थराइटिस पेन हो या नॉन अर्थराइटिस पेन हो, उसमें आपको राहत मिलेगी। 

How to get stronger bones


एक घरेलू सप्लीमेंट जो हड्डियों को स्वस्थ बनाता है

इस आयुर्वेदिक सप्लीमेंट को बनाने के लिए आपको चाहिए सिर्फ दो चीजें और दोनों ही चीजें शायद इसी वक्त आपके किचन में मौजूद हो। पहली है तिल और दूसरा है गुड़। दोस्तों, आप शायद ये बात जानकर हैरान हो लेकिन तिल में दूध के मुकाबले आठ गुना ज्यादा कैल्शियम होता है। 

ये मैग्नीशियम और हेल्दी फैट्स का भी बेहतरीन स्रोत है जिस वजह से ये जोड़ों में हुई सूजन को कम करते हैं और जोड़ों की चिकनाई को बढ़ाते हैं, जिस वजह से आपको चलने फिरने में आसानी होती है। तिल आपके बोन कार्टिलेज को रिपेयर करने का काम भी बहुत अच्छे से करते हैं, जिस वजह से हड्डियां जो आपस में घिसती हैं वो ठीक होने लगती हैं। 

दोस्तों, गुड़ भी अपने आप में कैल्शियम का अच्छा स्रोत है और साथ में इसमें फॉस्फोरस, आयरन जैसे माइक्रोन्यूट्रिएंट्स भी होते हैं जो ना सिर्फ एसिडिक हो चुके ब्लड को प्यूरीफाई करते हैं बल्कि खून को बढ़ाने में भी गुड़ बहुत कारगर है। 

और दोस्तों तिल और गुड़ का जो मिश्रण है वो तो रामबाण औषधि से कम नहीं। सिर्फ आयुर्वेद में ही नहीं बल्कि आज आधुनिक शोध भी इसका लोहा मान रही है। शायद इसीलिए हमारी दादी-नानी तिल और गुड़ के लड्डू हर सर्दी बनाया करती थी और इन्हें बनाना भी बहुत आसान होता है, मुश्किल से 10 मिनट लगते हैं। 


तिल गुड़ के लड्डू की रेसिपी

दोस्तों, सबसे पहले आपको तिलों को किसी कढ़ाई में सूखा भून लेना है आप सफेद तिल इस्तेमाल कर सकते हैं, काले तिलों का इस्तेमाल कर सकते हैं या दोनों को मिक्स भी कर सकते हैं। दो पांच मिनट में ये हल्के ब्राउन से हो जाएंगे तब इन्हें उतार के नीचे थाली में रख लें। 

अब उसी कढ़ाई में एक चम्मच घी डाल दें और उसमें जितने तिल लिए थे लगभग उतना ही गुड़ डाल दें। दोस्तों, गुड़ हमेशा रंग देखकर खरीदें। जितना गुड़ का रंग डार्क होगा उतना ही वह शुद्ध और पौष्टिक होगा। गुड़ को पिघलाएं, पानी में डालकर देखें तो वह हार्ड होने लगेगा। बस उसी थाली में गुड़ भी मिक्स करके गर्मागर्म ही लड्डू बना दें। 

यह लड्डू दोस्तों बहुत स्वादिष्ट होते हैं और सबसे अच्छी बात तो यह है कि यह खराब भी नहीं होते। आप एक ही बार में काफी सारे लड्डू बनाकर रख सकते हैं। 

दोस्तों, तिल और गुड़ दोनों ही गर्म होते हैं इस वजह से भी यह शरीर में वात दोष को कम कर नेचुरल पेनकिलर का काम करते हैं और आपको सर्दी में जो हाथ पैर ठंडे होने की समस्या होती है वह भी खत्म हो जाती है। सर्दियों में  दो महीने आप लगातार एक लड्डू रोज किसी भी टाइम खा लें। 

आप खुद महसूस करेंगे कि हड्डियां मजबूत हो गई और जो पहले दर्द रहता था, चलने फिरने में थकान होती थी वह भी चली गई है । एक चीज का ध्यान रखें कि जब भी आप इस लड्डू को खाएं तो इतना अच्छे से चबाएं ताकि अंदर ही पूरी चटनी बन जाए। वरना क्या होता है कि जो तिल होते हैं अगर हम उन्हें अच्छे से ना चबाएं तो ऐसे के ऐसे ही टॉयलेट के रास्ते बाहर आ जाते हैं। 


निष्कर्ष 

दोस्तों , 2  महीने कैल्शियम के बाकी सब सप्लीमेंट्स को भूलकर इस टाइम टेस्टेड घरेलु सप्लीमेंट को ट्राई करें और अपना अनुभव कमेंट सेक्शन में जरूर डालें। मुझे इंतजार रहेगा। दोस्तों, अगर आपको लगता है कि इस लेख से आपकी कोई मदद हुई है तो इसे अपने दोस्तों और परिवार के साथ शेयर जरूर कर देना।अंत तक हमारे साथ बने रहने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। 


Vinod Pandey

About the Author: Vinod is an experienced content writer with over 7 years of experience in crafting engaging and informative articles. His passion for reading and writing spans across various topics, allowing him to produce high-quality content that resonates with a diverse audience. With a keen eye for detail and a commitment to excellence, Vinod consistently delivers top-notch work that exceeds expectations.

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