भारत और अमेरिका के बीच 10 मुख्य सांस्कृतिक अंतर जो आपको पता होने चाहिए | Amazing Facts In Hindi

Amazing Facts In Hindi: दोस्तों ,आज के इस वीडियो में हम आपको पूरब और पश्चिम देशों यानी कि भारत और अमेरिका के लोगों के 10 ऐसे डिफरेंस बताने वाले हैं जिन्हें सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे। जैसे कि अमेरिकन वेडिंग, ट्रैफिक और उनका लाइफस्टाइल। तो चलिए शुरू करते हैं बिना किसी देरी के। 


भारत और अमेरिका के बीच 10 मुख्य सांस्कृतिक अंतर जो आपको पता होने चाहिए | Amazing Facts In Hindi


10 main cultural differences between India and America


नंबर 10 समय का पालन (Punctuality)

दोस्तों, अगर पंक्चुअलिटी की बात करें तो अमेरिका और भारत के लोगों के बीच तो अमेरिका के लोग समय के ज्यादा पाबंद होते हैं, क्योंकि अगर उनकी मीटिंग सुबह 10:00 बजे है तो वह 9:55 तक अपनी मीटिंग में जाकर बैठ जाएंगे। 

वहीं, अगर हम इंडियन पंक्चुअलिटी और माइंडसेट के बारे में बात करें तो भारतीयों का जवाब कुछ ऐसा होगा 5--10 मिनट ऊपर नीचे तो चलता है। अमेरिका में यदि आप देर से आते हैं तो आप पहले ही बुरा इफेक्ट डाल कर अपने कस्टमर से अलग हो चुके हैं। 

लेकिन भारत में देर से आना स्पेशल और इंपॉर्टेंट होने का साइन माना जाता है। जैसे कि अपनी ट्रेन को ही देख लीजिए, हमेशा लेट ही आती है। और ऐसा भी हो सकता है कि आज की ट्रेन कल आए और आपको पूरा दिन स्टेशन पर ही बिताना पडे। 

अमेरिकी लोग लॉन्ग टर्म गोल्स और प्लान पर ज्यादा ध्यान देते  हैं, जबकि भारतीय शॉर्ट टर्म टास्क्स और रिलेशनशिप्स पर अधिक ध्यान देते  हैं। और भारत के जिन लोगों ने भी अपने समय को बहुत महत्वपूर्ण समझा है वो आज किसी न किसी फील्ड में बहुत सक्सेसफुल हो चुके हैं। 


नंबर 9. भोजन (Food ) 

दोस्तों, आपको लगता होगा कि अपनी विशाल आबादी के कारण भारत और चीन जैसे देश भारी मात्रा में भोजन की खपत करते होंगे। 

लेकिन आपको बता दें कि 2007 में यूएस डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार अमेरिका में हर व्यक्ति द्वारा कुल भोजन खपत , गेहूं, चावल और सभी मोटे अनाज जैसे राई, जौ आदि एक भारतीय की तुलना में पांच गुना अधिक है। 

प्रत्येक भारतीय को एक वर्ष में लगभग 178 किलोग्राम अनाज खाने को मिलता है, जबकि एक अमेरिकी नागरिक 1046 किलोग्राम अनाज खाता है। 

और बात करें एक दिन के भोजन की तो अमेरिका और इंडिया दोनों ही देशों में दिन में तीन बार खाना खाया जाता है। अमेरिका जैसे देश के लोग भारत के मुकाबले ज्यादा नॉन वेजिटेरियन होते हैं। लेकिन फिर भी वो हमसे ज्यादा अनाज खाते हैं। 


नंबर 8. यात्रा (Traveling)

दोस्तों ये तो आप सभी लोग जानते हैं कि भारत के लोग दिखावा करने में बिल्कुल पीछे नहीं हैं। मैंने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि भारत के आधे से ज्यादा लोग घूमना सिर्फ इसलिए पसंद करते हैं क्योंकि उनको अपने अच्छे अच्छे फोटो खिंचवाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट करना होता है। 

और सोशल मीडिया की ताकत तो आप उर्फी  जावेद को देखकर ही जान जाएंगे। दोस्तों ट्रैवलिंग कोई इंसान क्यों करता है? अपने मन की शांति के लिए यानी कि हम दूसरी जगहों पर जाकर बहुत सारी चीजों को एक्सपीरियंस करें और नेचर के ब्यूटीफुल व्यू को देखकर एन्जॉय करें। 

जबकि भारत के लोगों की आंखों के सामने कोई भी खूबसूरत चीज होगी तो वो उसको आराम से देखने की बजाय पहले फोटो खींचना शुरू कर देते हैं यानी कि उसको कैमरे से ही देखते हैं, बेशक वो जगह उनके सामने हो उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। जबकि वेस्टर्न कंट्रीज में ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। वहां के लोग दिखावे को ज्यादा इंपॉर्टेंस नहीं देते हैं। 


नंबर 7.  परिवार में बच्चें (Children in the family) 

दोस्तों, अगर भारत और अमेरिकी देशों की फैमिली में एवरेज बच्चों की बात की जाए तो हमारा भारत देश ही इसमें सबसे आगे होगा। क्योंकि हमारे देश में कई धर्म के लोग रहते हैं जैसे कि हिंदू धर्म, मुस्लिम धर्म, जैन और ईसाई। 

लेकिन जो हमारे देश के पढ़े लिखे लोग हैं उनकी फैमिली में ज्यादातर सिर्फ दो या तीन बच्चे ही होते हैं और जो अशिक्षित लोग हैं उनकी फैमिली में 8 से 10 बच्चे भी हो सकते हैं। तो भला इसमें अमेरिकी देश हमारे देश का मुकाबला कैसे कर सकता है? क्योंकि अमेरिका में लोग एवरेज एक या दो बच्चे ही रखना पसंद करते हैं। 


नंबर 6. बॉस (The Boss )

दोस्तों, किसी भी कंपनी, ऑर्गनाइजेशन को चलाने के लिए बॉस का रोल बहुत इम्पॉर्टेंट होता है। और अगर अमेरिका और भारत के बॉस के बीच में अंतर देखा जाए तो वेस्टर्न कंट्रीज में कम उम्र का व्यक्ति भी अपनी नॉलेज के आधार पर ऊंची पोजिशन पर अपॉइंट किया जा सकता है। 

वो कंपनी के ज्यादातर कर्मचारियों से कम उम्र का हो सकता है, लेकिन फिर भी हाई पोजिशन पर काम करने वाले यह कर्मचारी भी अपनी श्रेष्ठता का दिखावा नहीं करते हैं और सभी के साथ सामान्य व्यवहार करते हैं ,और वेस्टर्न कंट्रीज में अपने बॉस को उनके नाम से बुलाना बहुत आम सी बात है। 

जबकि भारत में हम पूरे दिल से पदानुक्रम  का पालन करते हैं। अपने परिवारों में ही देख लीजिए, हम अपने से बड़े को ज्यादा रिस्पेक्ट देने में विश्वास करते हैं और हम अपने वर्कप्लेस में भी इसी पैटर्न का पालन करते हैं। 

हम अपने लेवल के नॉमिनेटेड लोगों और अपने से नीचे काम करने वाले लोगों के बीच भी विभाजन पैदा करते हैं। एक मैनेजर आमतौर पर अपने से नीचे पोजीशन वाले कर्मचारी  के साथ दोपहर का खाना नहीं खाएगा और आपको अपने बॉस को सर कहकर ही बुलाना पड़ेगा। 


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नंबर 5.  जीवनशैली, स्वतंत्र बनाम आश्रित  (Lifestyle, independent vs. dependent)

दोस्तों  अमेरिका और भारत के लाइफस्टाइल में बहुत ज्यादा डिफरेंस देखने को मिलता है। अमेरिका में आप अपने मर्जी के मालिक होते हैं। 

जैसे कि आप अपनी गर्लफ्रेंड को पब्लिक में किस कर सकते हैं और आपकी लाइफ में माता पिता का कोई इंटरफेरेंस नहीं होगा। आप अपने लिए पूरी तरह जिम्मेदार होंगे। कहां रहना है, क्या खाना है कैसे पैसे कमाने हैं सब कुछ। 

लेकिन भारत में हम संस्कृति द्वारा संरक्षित हैं, जिसके पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों पहलू हैं। भारत में हम परिवार के साथ जश्न मनाते हैं और अपने माता पिता के साथ रहते हैं और यही कारण है कि इसलिए हम अमेरिकियों से अधिक उनका सम्मान करते हैं। 

भारत में सम्मान और प्यार की एक डोरी है, जो अच्छी है, लेकिन कभी कभी ये कुछ पाश्चात्य जगत से प्रेरित लोगों की स्वतंत्रता के खिलाफ खडी हो जाती है। 


नंबर 4.  समस्याओं से निपटना (Dealing with problems) 

दोस्तों, उतार चढ़ाव हर किसी के जीवन का हिस्सा है। हम अपनी परेशानियों को कैसे हैंडल करते हैं उससे हमारे माइंडसेट का पता चलता है। वेस्टर्न लोग सीधे समस्या पर विचार करते हैं, जबकि हम भारतीय लोग इसके इर्द गिर्द बात करना चाहते हैं। 

साफ शब्दों में कहें तो इससे बचना चाहते हैं और हमेशा यही कोशिश करते हैं कि हमारी जगह कोई और हमारी प्रॉब्लम्स को सॉल्व कर दे। अगर बात करें अमेरिकी लोगों के बारे में तो वो लोग 16 से 17 साल की उम्र में ही आत्मनिर्भर हो जाते हैं। यानी कि वो अपनी सारी प्रॉब्लम्स को खुद ही सॉल्व करना शुरू कर देते हैं। 

उनके मां बाप को उनसे कोई मतलब नहीं होता जिस वजह से वो अपनी प्रॉब्लम्स को सॉल्व करने में इतने ज्यादा माहिर हो जाते हैं कि वो किसी भी प्रॉब्लम से नहीं डरते। 

जबकि भारतीय लोग दूसरों पर डिपेंडेंट होते हैं जैसे कि अपने मां बाप और अपने बड़े भाई बहनों पर। क्योंकि उन्होंने किसी भी चीज को अकेले फेस नहीं किया होता इसलिए कभी कभी कुछ लोग एकदम से आयी किसी परेशानी को सँभालने में असमर्थ दिखाई पढ़ते हैं। 


नंबर 3. सुंदरता  

दोस्तों भारतीय लोगों में अगर हम सुंदरता की बात करें तो यहां के लोग सिर्फ गोरी चमड़ी को ही आइडियल ऑफ ब्यूटी मानते हैं। फिर चाहे आपकी आंख, नाक, मुंह कैसा भी हो बस आपका रंग गोरा होना चाहिए। 

जबकि वेस्टर्न कंट्रीज में ऐसा नहीं है, वहां आपका रंग कैसा भी हो आपको बराबर माना जाएगा। दोस्तों आपको जानकर हैरानी होगी जैसे भारत के लोग गोरे होने के लिए क्रीम लगाते हैं वैसे ही वेस्टर्न कंट्रीज में लोग खुद को टैन करने के लिए यानी कि अपना कलर ब्राउन करने के लिए क्रीम लगाते हैं। 

क्योंकि लोगों को लगता है कि ब्राउन कलर कूल लगता है। पर चीन जैसे देश में डार्क ब्राउन से पता चलता है कि व्यक्ति आजीविका के लिए खेतों में मजदूरी करता है। 

जबकि जर्मनी जैसे देशों में डार्क ब्राउन से पता चलता है कि व्यक्ति के पास बहुत सारा पैसा है और वो दुनिया भर में धूप वाली जगहों में छुट्टियों पर जाता है। ऐसे ही हर देश में रंग को लेकर अलग अलग मान्यताएं हैं। 


नंबर 2. शादी (Marriage) 

दोस्तों अमेरिकी शादियों में आमतौर पर केवल तीन प्रोग्राम शामिल होते हैं। शादी से पहले का डिनर, सेलिब्रेशन और रिसेप्शन। ये सब आमतौर पर दो या तीन दिनों के अंदर हो जाता है। 

जबकि भारतीय शादियों में कई और सेलिब्रेशन शामिल होते हैं जैसे हल्दी, मेहंदी, संगीत, डिनर और पहला सेलिब्रेशन तो महीनों पहले ही होता है जिसे इंगेजमेंट पार्टी कहते हैं। 

अमेरिकी शादियों में आमतौर पर 150  से कम मेहमान होते हैं, जिसमें केवल क्लोज फ्रेंड्स और फैमिली मेंबर्स होते हैं, इसलिए शादी के प्लेस अक्सर छोटे और फंक्शन सिंपल होते हैं। 

जबकि भारतीय शादियां छोटी मानी जाती हैं, अगर उनमें केवल 200 लोग ही शामिल हों। दूर के रिश्तेदारों से लेकर पड़ोसियों तक सभी को इनवाइट किया जाता है, लेकिन फिर भी कोई रिश्तेदार खुश नहीं होता। 

अब बात करें शादी में होने वाले खर्च की तो अमेरिकी शादियों में लगभग 4 से 5 लाख रुपए खर्च किए जाते हैं, जबकि भारतीय शादियों में काम से काम 25 से 30 लाख रुपए खर्च हो जाते हैं। 


नंबर 1. ट्रैफिक 

दोस्तों हर देश में ड्राइविंग के अपने रूल्स होते हैं। जैसे जैसे बाउंड्रीज के अकॉर्डिंग कार की स्ट्रक्चर बदलती है, ट्रैफिक रूल्स और गाड़ी चलाने का तरीका भी बदलता है। कुछ देशों में लोग सड़क के राइट साइड गाड़ी चलाते हैं, जबकि दूसरे देशों में लेफ्ट साइड। 

अगर आप भारत में कार चला रहे हैं तो सड़क के लेफ्ट साइड कार चलाएंगे। लेकिन जर्मनी और अमेरिका जैसे देशों में लोग सड़क के राइट साइड गाड़ी चलाते हैं। 

अमेरिका की सड़क आपको बिल्कुल खाली मिलेगी, लेकिन भारत की सड़कों पर कहीं गड्ढे तो कहीं दुकान वाले, कहीं गाय और कहीं कुत्ते। अब इन सब में गाड़ी चलाना किसी चैलेंज से कम तो नहीं। दोस्तों भारत में हम सभी शॉर्टकट अपनाने और रूल्स को तोड़ने में गर्व महसूस करते हैं जब तक कि कानून हमें पकड़ नहीं लेता। 

लेकिन अमेरिकी देशों में ऐसा नहीं होता। वहां के लोग सारे रूल्स फॉलो करते हैं। भारत के मुकाबले अमेरिका जैसे देशों में लोग गाड़ी का बहुत कम इस्तेमाल करते हैं। 

अगर उनके ऑफिस या स्कूल कुछ ही दूरी पर है तो वो लोग साइकिल और स्केटबोर्ड जैसी चीजों का इस्तेमाल करते हैं। जिस वजह से उनकी सड़कों पर बहुत कम ट्रैफिक देखने को मिलता है। 


निष्कर्ष (Amazing Facts In Hindi)

तो दोस्तों यह था आज का हमारा आर्टिकल भारत और अमेरिका के बीच 10 मुख्य सांस्कृतिक अंतर के बारे में। दोस्तों आपको क्या लगता है हमारा देश अपनी संस्कृति, सभ्यता, बुद्धिमता और जनसँख्या के अलावा और किन किन चीज़ों में अमेरिका से आगे है।  अंत तक हमारे साथ बने रहने के लिए धन्यवाद। 

Vinod Pandey

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