सिर्फ पांच साल काम और जिंदगी भर आराम करो

सिर्फ पांच साल काम और जिंदगी भर आराम। सुनने में कितना इंटरेस्टिंग लगता है। सिर्फ पांच साल मेहनत करो और जिंदगी भर बैठकर खाओ। इंटरनेट पर आज इस टॉपिक पर आपको कई वीडियो और आर्टिकल्स देखने को मिल रहे होंगे , जिसमें आपको तीन दोस्तों की स्टोरी दिखाकर यह बताया जा रहा है कि अगर आप कम उम्र से ही इन्वेस्टिंग करना शुरू कर चुके होते तो अगले कुछ साल बाद आपकी इन्वेस्टिंग करोड़ों में हो गई होती और लगभग हर किसी वीडियो और आर्टिकल में इन्वेस्टमेंट का सोर्स या तो स्टॉक मार्केट या म्यूचुअल फंड या फिर SIP को दिखाया गया है। 

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अब देखो मेरा पॉइंट यहां पर क्या है? मैंने भी इस टॉपिक पर कई वीडियो और आर्टिकल्स देखे  और लगभग हर वीडियो और आर्टिकल में आपको यह रियलाइज कराया जा रहा है कि अमीर बनने के लिए स्टॉक मार्केट या फिर म्यूचुअल फंड ही एक बेस्ट चॉइस है। अगर आप अपनी अर्ली एज में ही इन्वेस्टिंग करना शुरू कर देते हो तो कंपाउंडिंग की वजह से आपका थोडा पैसा भी लाखों करोडों तक पहुंच जाएगा। 

अब ऐसे में एक आम इंसान जब इस वीडियो को पूरा देखता है तो सबसे बडा रिग्रेट उसके मन में यह पनपना शुरू हो जाता है कि यार मैंने क्यों नहीं स्टॉक मार्केट में पैसे लगाए। क्यों मैं अब तक अपना टाइम खराब कर रहा था। और ऐसा होता इसलिए है क्योंकि आपको यहां पर सिर्फ पॉजिटिव बातें बताई जाती है। अलग अलग एग्जांपल से आपको यह फील करवाया जाता है कि अगर आपके पास ज्यादा टाइम है तो कंपाउंडिंग का सबसे ज्यादा फायदा आप ही को होने वाला है। 

पर दिक्कत यहां पर यह है कि इन सारी वीडियोज और आर्टिकल्स में आपको सिर्फ कंपाउंडिंग की एक साइड दिखाई जाती है। इसके नेगेटिव पॉइंट्स के बारे में तो किसी ने बात ही नहीं की। तो क्या इसका मतलब यह है कि इसकी कोई नेगेटिव साइड ही नहीं है? तो देखो ऐसा नहीं है। डार्क साइड कंपाउंडिंग की है, जो कई जगहों में आपसे जानबूझकर छिपाई जाती है। 

इंटरनेट  में जो एग्जाम्पल दिए जाते हैं जिसमें पाँच साल इन्वेस्टमेंट करके कोई बहुत अमीर बन जाता है। ऐसा कोई इंसान अगर आप रियल लाइफ में देखने निकलोगे तो आपको रेयर ही कोई मिलेगा। ज्यादा चांस है कि आपको ऐसा कोई दिखे ही ना। और ऐसे वीडियो की एंडिंग में आपने देखा होगा कि जब कहानी में हमारे कैरेक्टर्स करोडों तक पहुंचते हैं तो या तो उनकी उम्र 65 या 70 के आस पास पहुंच जाती है। 

तो इस बात में ना के बराबर सच्चाई है कि स्टॉक मार्केट में कम पैसे लगाकर आप जवानी में ही करोडों कमा लोगे। दूसरा पॉइंट इसमें यह है कि यहां पर सिर्फ बढती हुई रिटर्न की बात की जाती है जिसमें 15 से 17 परसेंट एक कॉमन नंबर है। सच्चाई तो यह भी है कि कई कंपनियां प्रॉफिट के बजाय लॉस में भी चली जाती है। कभी कभी बहुत बडा मार्केट क्रैश हो जाता है। 

या मान लो अगर कोई कंपनी आपको प्रॉफिट दे भी रही है तो जरूरी नहीं है कि वो 17 परसेंट ही दे। वह कम भी दे सकती है। अब देखो पहले तो मैं एक बात यहां पर क्लियर कर दूं कि मैं कंपाउंडिंग या म्यूचुअल फंड SIP  को गलत नहीं बोल रहा। नो डाउट इन चीजों से कई लोगों ने बहुत फायदा लिया है और इस टॉपिक पर अपने पास में मैं भी कुछ आर्टिकल्स बना चुका हूं। 

मैं आपको बस यह बता रहा हूं कि यहां पर इसके साथ साथ ये सब भी होता है जो कि आपको पता होना बहुत जरूरी है। मेरा यह  आर्टिकल कंपाउंडिंग या स्टॉक मार्केट की कोई डार्क साइड बताने पर नहीं है, बल्कि  यह आर्टिकल  आपकी कामयाबी के बीच में आने वाले उन obstacles पर है जिन पर ध्यान तक नहीं है आपका, क्योंकि इन obstacles ने आपको एक ट्रैप में फंसा रखा है और इसी वजह से आपके माइंड में ऐसे खयाल आते रहते हैं  जैसे मेरी लाइफ में कुछ ऐसा हो जाए कि मैं अमीर भी बन जाऊं और कुछ करना भी न पडे। 

फिर वैसी वीडियो देखकर आप अपने थॉट्स को और मजबूत कर लेते हो। तो दोस्तों आज के इस आर्टिकल में मैं आपको फाइव ईयर इन्वेस्टमेंट प्लान नहीं, फाइव ईयर चैलेंज दे रहा हूं। आगे आपकी लाइफ में आने वाले जो जो obstacles में आपको बताऊंगा, अगर आपने आने वाले पांच सालों तक इन पर काबू पाकर रखा तो मैं आपको पक्की गारंटी दे रहा हूं कि आप इतने काबिल हो जाओगे कि आप 1 लाख, 2 लाख, 5 लाख महीने का कमा सकते हो। 

और इस दौरान मैं आपको सिर्फ थ्योरी ही नहीं बताऊंगा। आपके सामने मैं कई उन लोगों के एग्जाम्पल्स भी रखूंगा जो इन obstacle पर काबू पाकर आज लाखों करोड़ों रुपए कमा रहे हैं। वो भी बिना स्टॉक मार्केट और म्यूचुअल फंड में पैसा लगाएं। तो डेफिनेटली आज का यह आर्टिकल आपके लिए लाइफ चेंजिंग हो सकता है। इसलिए बिना किसी डिस्ट्रैक्शन के इस आर्टिकल को बहुत ध्यान से अंत तक जरूर पढियेगा। तो चलिए शुरू करते हैं। 


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1. Arrogance 

पहला ऑप्टिकल जो हमें हमारी लाइफ में आगे नहीं बढने देता वो है एरोगेंस यानी हमारा घमंड। इमेजिन करो कि आप कॉलेज से पास आउट हो गए और एक बडी डिग्री आपके पास है। अब आप एक अच्छी कंपनी में जॉब करने और एक डीसेंट सैलरी कमाने के लिए बिल्कुल रेडी हो।बदकिस्मती से आपको कहीं भी जॉब नहीं मिल पा रही। आप रोज अपनी डिग्री लेकर जॉब के लिए धक्के खा रहे हो पर कोई फायदा नहीं हो रहा। 

फिर एक दिन आपके पास आपका एक दोस्त आता है और आपको सलाह देता है कि भाई मैं तुझे एक सजेशन दे रहा हूं तू बुरा मत मानना यार। जब हम कॉलेज के दिनों में हॉस्टल में थे तो तू चाय बहुत अच्छी बनाता था। मैं तो तेरी चाय का फैन हो गया था। मैं तो कहता हूं कि एक चाय का ठेला लगा ले। यकीन मानिए बहुत चाय बिकेगी तेरी। 

अब आप मुझे ये बताओ कि आपके दोस्त की इस बात पर आपका क्या रिस्पांस होता? हो सकता है आप उस बात पर अपने दोस्त से गुस्सा हो जाओ और कहो तेरा दिमाग तो खराब नहीं है। मैं इतने पैसे इस बडी डिग्री में लगाकर आया हूं और मैं चाय का ठेला खोलूं। पर जिस इंसान का रेफरेंस मैं आपके दे रहा हूं, उसने ऐसा नहीं सोचा बल्कि उसने चाय के बिजनेस को एक्चुअल में ट्राई करके देखा और सच में जैसा उसके दोस्त ने बोला था, वैसा ही हुआ। 

उसकी चाय लोगों को खूब पसंद आई और इतनी जल्दी उसने ग्रोथ पकडी कि सिर्फ चार सालों के अंदर ही उसने पांच आउटलेट्स खोल दिए और आज वो सिर्फ चाय के बिजनेस से ही 7 से 10 लाख रुपए महीना कमा रहा है। मैं बात कर रहा हूं चाय नशा के फाउंडर नाजिम अली की और ये तो फिर भी इतना ज्यादा अमाउंट नहीं है। प्रफुल बिल्लौरे उर्फ एमबीए चायवाला का  एनुअल टर्नओवर ₹30 करोड़, अनुभव दुबे चाय सुट्टा बार के फाउंडर का एनुअल टर्नओवर  ₹150 करोड़ और सागर दरयानी wow momos के फाउंडर का एनुअल टर्नओवर ₹450 करोड़। 

ऐसे ही न जाने कितने और नाम मैं आपको गिना दूंगा, जिन्होंने एक छोटी सी दुकान या ठेले पर स्ट्रीट फूड आइटम्स बेचने शुरू किए और आज इनके यही आइटम्स इनको करोडों कमा कमाकर दे रहे हैं। ऐसा हो इसलिए पाया क्योंकि इनके अंदर अपने स्टेटस को लेकर कोई घमंड नहीं था। उन्होंने सोचने में अपना टाइम वेस्ट नहीं किया कि इतनी पढाई लिखाई की है मैंने और अब मैं ये फूड के ठेले लगाऊं। 

वो बिना किसी एरोगेंस के अपने काम पर बस टिके रहे। देखो घमंड आपकी कामयाबी के बीच में खडा एक बडा obstacle है क्योंकि इसके चक्कर में आप कई ऐसे मौके गंवा देते हो जो आपका करियर सेट कर सकते थे। इसलिए अगर आपको कम टाइम में अमीर बनना है तो अपने इस घमंड को बाहर निकालकर अपने से दूर रख देने की जरूरत है। और बिना शर्म किए जिस चीज में आप ज्यादा अच्छे हो, उसे पब्लिक के सामने लाने की जरूरत है। 


2. Laziness 

दूसरा obstacle है हमारा Laziness . Marketing Expert गैरी भी अपने एक सेमिनार के अंदर यह बताते हैं कि एक बार मेरे फोन पर एक अनजान कॉल आई। मैंने फोन उठाया। उसने मुझे अपनी पहचान बताई। बोला कि सर मेरा नाम डेविड है और मैं टॉय की शॉप चलाता हूं। शॉप से मेरे दिनभर में ठीक ठाक पैसे बन जाते हैं। पर बहुत टाइम हो गया मैं इससे आगे नहीं बढ़ पा रहा। 

मतलब कि मेरी इनकम एक जगह पर अटक सी गई है। प्लीज मुझे मार्केटिंग की कुछ टिप्स दीजिए ताकि मैं और सेल कर सकूं। तो गैरी ने उसको मार्केटिंग की कुछ ट्रिक्स बताई और बोला कि अगले पाँच दिन बाद बताना क्या रिजल्ट निकला है। गैरी को पता था कि ये जो ट्रिक मैंने उसको बताई है उसको अप्लाई करने में ही उसके तीन दिन लगने वाले हैं। पर शॉकिंग उसका फोन तो अगले दिन ही आ गया। 

उसने गैरी को बोला जो ट्रिक्स आपने बताई थीं, मैंने यूज कर लिया उनको। और सच में इससे मेरी सेल्स आज से ही बढने लग गई। तो गैरी ने उससे पूछा अरे तुमने इन ट्रिक को इतनी जल्दी कैसे अप्लाई कर लिया? वो बोला कि सर मैंने तो इस पर काम कॉल काटते ही शुरू कर दिया था और तब तक पूरे फोकस के साथ में लगा रहा जब तक सही से एग्जीक्यूट न कर दिया। 

गैरी  ने बताय मुझे इतने लोग मिलते हैं पर डेविड जितना डिसिप्लिन वाला इंसान मैंने आज तक नहीं देखा। लोग जब भी मुझसे मार्केटिंग पर आइडियाज लेते हैं तो कोई तो उस पर अगले दिन काम शुरू करता है। कोई कुछ डिले करके तब उसे इम्प्लीमेंट करता है, तो कोई बस सुनता है और टाल देता है। डेविड पहला ऐसा इंसान था जो आधे से भी कम टाइम में यह काम कर गया। 

अब आप लोग जरा सोचो और मुझे बताओ कि डेविड जैसा डिसिप्लिन क्या आपके अंदर भी है या कौन सा लास्ट काम आपने पूरे डिसिप्लिन और फोकस के साथ किया था? अगर आपका जवाब ये है कि भाई चाहते तो हम बहुत कुछ करना है। बस जैसे ही वो काम शुरू करते हैं तो बहुत जल्दी बोर हो जाते हैं तो समझ जाओ कि आप laziness के शिकार हो और आप कितने ही एफर्ट्स डाल लेना जब तक आप इस पर काबू नहीं पाओगे, आपको ऐसे ही बोरियत महसूस होती रहेगी और किसी काम पर फोकस नहीं लग पाएगा। 

तो अब सलूशन क्या है इसका ? देखो अगर आपको जड़ से इसका इलाज चाहिए तो laziness  को ब्लेम करने की जगह आप इसके root cause  को समझो। आप रीजन जानो की यह laziness आपको आ ही क्यों रही है? मोबाइल पर तो हम बिना कहीं डिस्ट्रक्ट हुए घंटों यहां लगे रहते हैं। जब भी बात कुछ प्रोडक्टिव करने की आती है तो ऐसा क्यों होता है कि यहां हमारा फोकस ही नहीं बन पाता। 

अगर मैं एक वर्ड में जवाब दूं तो इसका जवाब है आपका इंट्रेस्ट। आप उस काम को मन लगाकर पूरे फोकस के साथ में कर सकते हो, जिसमें आपका इंट्रेस्ट है या जो काम आप बाकी लोगों से अच्छा कर पाते हो। अगर आप ऐसा कुछ काम कर रहे हो जो दूसरों ने आपको सजेस्ट किया है तो हो सकता है कि इस काम में उसका तो इंट्रेस्ट हो, पर इसमें आपकी दिलचस्पी न हो। 

तो ऐसे कामों को अगर आप पकड़ोगे तो कैसे इन पर फोकस बना पाओगे। इसलिए अगर आपको इस laziness को दूर करना है तो अपनी लाइफ का ठेका आपको खुद लेना पडेगा। क्योंकि जो फील्ड आप खुद की पसंद से चुनोगे, फोकस उसी काम पर ज्यादा बन पाएगा। 


3. Fear 

हमारा अगला obstacle है फियर यानी कि डर। ये सोसाइटी कितनी अजीब है ना। अगर कोई एग्जाम में फेल हो जाता है तो उसको सबके सामने जलील किया जाता है और वहीं अगर कोई टॉप कर जाए तो उसकी मिसालें दी जाती हैं। अगर किसी का बिजनेस चल पडता है तो उसको तो बडी इज्जत की नजरों से देखा जाता है। पर अगर किसी का नहीं चल पाता तो दूसरों के सामने वो एक लूजर बन जाता है। 

अगर किसी क्रिकेटर ने शानदार प्रदर्शन दिया तो उस टाइम तो उसकी तारीफों के पुल बांध दिए जाते हैं पर वही क्रिकेटर अगले मैच में अगर पहली ही बॉल पर आउट हो गया तो फिर उसके बारे में ये कहा जाता है कि क्या बकवास खिलाडी है। 

मतलब सक्सेस की एक ऐसी vibe हमारे बीच में क्रिएट की जाती है जिससे हमें खुद भी भरोसा हो जाता है कि यार सक्सेस ही सब कुछ है। कहीं भी अगर फेल हो गए तो तुमसे लूजर इंसान और कोई नहीं है। इसी चक्कर में हम कोई भी स्टेप लेने से पहले हजार बार सोचते हैं क्योंकि हमारे मन में डर रहता है कि कहीं फेल न हो जाए। अब देखो इसको ओवरकम करने के लिए यहां भी पहले हमें यह समझना होगा कि डर लगता ही क्यों है हमें और फेलियर का सक्सेस के पीछे कितना बडा रोल है। 

डर एक ऐसी कंडीशन है जो दो तरह से काम करती है। एक फिजिकली और दूसरा मेंटली। फिजिकल डर में तो आपको हंड्रेड परसेंट कन्फर्म होता है कि अगर आपने यहां पर कोई स्टेप उठाया तो इसका रिजल्ट बुरा ही आना है। पर मेंटल लेवल पर जो डर है उसकी हमको कोई कन्फर्मेशन नहीं होती। फिर भी हम सोच सोचकर डरते हैं। जैसे फॉर एग्जाम्पल, मान लो आप सडक पर कहीं जा रहे हो और आपके पर्स में ₹20,000 हैं। चलते चलते आपको दो चोर दिखते हैं जो आप की तरफ आ रहे हैं। 

तो यहां डरना आपका जायज है और मौका देखकर आपको भागना पडेगा क्योंकि आपको पक्का कन्फर्म है कि अगर आप यहां से भागे नहीं तो आप लूट लिए जाओगे। लेकिन वहीं अगर आप चल रहे हो और ऐसा कोई भी नहीं है आपके आसपास, फिर भी आपके मन में डर बैठ रहा है कि कोई स्नैचर या चोर आकर आपके पैसे लूट कर ले जाए तो ये डर सिर्फ आपका मेंटल लेवल पर है और इन केसेस में हमको यही डर लगता है। 

इतना छोटा बिजनेस कर रहा हूं, सोसाइटी वाले क्या सोचेंगे? घर वालों ने इतना पैसा मेरी पढाई में जॉब के लिए लगा दिया, अगर अब भी मैं कोई बिजनेस करूंगा तो उन्हें मैं क्या मुंह दिखाऊंगा। मेरी गर्लफ्रेंड और दोस्तों के सामने मेरी क्या इज्जत रह जाएगी? ऐसे कई साइकोलॉजिकल थॉट्स हम पहले ही अपने अंदर बिठा लेते हैं और कोई स्टेप नहीं लेते। 

तो ऐसा अगर आपके साथ भी है तो आपको पहले तो यह पहचानने की जरूरत है कि जिस डर की वजह से आप आगे नहीं बढ़ पा रहे, क्या वो हमारा फिजिकल है या अपने माइंड में सोच सोचकर हम उसे जबरदस्ती पैदा कर रहे हैं? 

अगर तो वो डर आपका फिजिकल है तो उसे ओवरकम करने के लिए आपको नॉलेज की जरूरत है, लर्निंग की जरूरत है और प्लानिंग की जरूरत है। अगर आपका फीयर मेंटल लेवल पर है तो पहले तो फियर की असल वजह को जानो और फिर उसी हिसाब से एक्ट करो। हाई पॉसिबिलिटी है कि आगे चलकर आपको खुद ये फील होगा कि जिस डर से आप अब तक रुके पडे थे एक्चुअल में, उससे तो आपको कोई खतरा ही नहीं था। 


4. Fear of Sacrifice 

अगला और सबसे इम्पोर्टेन्ट obstacle है फियर ऑफ़ सैक्रिफाइस यानी सैक्रिफाइस से डरना और उससे दूर भागना। जब भी हम मंदिर में जाकर प्रार्थना करते हैं, गुरुद्वारे में जाते हैं और दुआ मांगते हैं तो ऊपरवाले से हमारी यही मांग होती है कि कोई प्रॉब्लम न आए हमारी लाइफ में और जिंदगी भर हमारी लाइफ सुख शांति से चलती रहे। बिजनेस हमारा ग्रो होता रहे, तबियत हमारी कभी खराब न हो और जो भी लोग हमारे साथ आज हैं वो हमेशा हमारे साथ ही रहें। 

पर सोचकर देखो कि क्या ऐसा सच में होता है? आज तक इस दुनिया में ऐसा कोई नहीं रहा जिसकी हमेशा लाइफ अच्छी रही हो। जो सुखी तो रहा हो पर कभी दुखी न हुआ हो या कभी उसे किसी प्रॉब्लम का सामना न करना पडा हो। अगर प्रैक्टिकली देखा जाए तो ऊपरवाले से हम उस चीज की मांग करते हैं जो सच्चाई से बिल्कुल अलग है, कडवा है पर यही सच है। 

अगर हमारे सामने दो ऑप्शन हैं एक तरफ सैक्रिफाइस और दूसरी तरफ कंफर्ट जोन तो हम हमारे कंफर्ट जोन को ही चुनेगा क्योंकि सुकून है इसके अंदर, आराम भरी लाइफ है, और एक अलग ही मजा है। मजा आता है जब हम घंटों तक मोबाइल चलाते हैं, गर्लफ्रेंड या यार दोस्तों को पूरा टाइम देते हैं तो बहुत सुकून मिलता है। जो मन चाहे वो खरीद लेते हैं, तो क्या कमाल की फीलिंग आती है। 

एक बात अभी आपको समझने की जरूरत है कि यह आपकी टेंपरेरी हैप्पीनेस होती है परमानेंट नहीं। जो आपका फ्यूचर बनेगा वो पेन सहकर बनेगा, सैक्रिफाइस करने पर बनेगा। जिन बडे बडे लोगों की आज हम मिसालें देते हैं, उनकी कामयाबी को याद करते हैं लगभग उन सभी ने अपनी इनिशियल स्टेज में बहुत सैक्रिफाइस किए हैं और ना जाने उन्होंने कितनी ही इच्छाओं को दबाया है। तब कहीं जाकर वो इतने काबिल हो पाए और कामयाब हो गए। 

अब देखो यहां पर मैं आपसे ये नहीं कह रहा कि आप अपनी लाइफ को बिल्कुल नर्क बना लो। किसी से आप हंसना बोलना छोड दो, मिलना जुलना छोड दो, कहीं भी अच्छा खाना पीना छोड दो या कुछ खरीदना छोड दो। नहीं यार आप लाइफ को एन्जॉय करो। बट इस एंजॉयमेंट का तभी मजा है जब उसे अर्न करते हो आप। 

वरना एक तरफ तो आपकी लाइफ झंड हुई पडी है और इसके बावजूद बस आप एंजॉयमेंट ही किए जा रहे हो तो सक्सेस कभी हाथ नहीं लगेगी आपको। इसलिए अगर आप भगवान से प्यार करते हो तो ऐसी प्राथना मत करो कि मुझे लाइफ में कोई प्रॉब्लम न हो। भगवान से प्राथना करो कि वो आपको इतनी हिम्मत दे कि जितने भी आपके लाइफ में फेलियर, सैक्रिफाइस और पेन आने वाले हैं उन सबसे आप दूर भागने की जगह उन्हें फेस कर सको। 


Final Words

तो दोस्तों ,ये थे वो चार obstacles जो असल में आपकी कामयाबी के बीच में आते हैं। आज ही खुद को चैलेंज दो और इन पर काबू पाना शुरू कर दो। और आप देखोगे की आप पांच साल तो क्या दो तीन सालों में ही खुद को इतना आगे बढा लोगे कि आप सोच भी नहीं सकते।

Vinod Pandey

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