Finance Education in Hindi : बनिया इंडिया की एक ऐसी कम्युनिटी है जो ट्रेड, फाइनेंस और बिजनेस के लिए फेमस है। ये कोई स्पेसिफिक स्टेट से नहीं आते। बनिया आपको कहीं भी देखने को मिल सकता है। गुजरात, राजस्थान, बंगाल, महाराष्ट्र। बेसिकली जो व्यापारी होते हैं, उन्हें बनिया कहा जाता है।
अब नॉर्मली देखें तो हम लोग इंडिया में मारवाडी, अग्रवाल, गुप्ता और महेश्वरी को बनिया कहते हैं। देश की इकॉनमी की बात की जाए तो इन्होंने शुरू से ही देश की इकॉनमी में बहुत बडा रोल प्ले किया है। आज भी टाटा, अंबानी, अडानी इंडियन इकॉनमी के लिए बहुत इंपॉर्टेंट है। इस सबके साथ एक बनिए की खासियत यह होती है कि वो हर चीज की कैलकुलेशन करता है, कैसे? मैं बताता हूं।
मेरे साथ जिम में एक्सरसाइज करने एक लडका आता था। उसकी राशन वगैरह की दुकान थी और वो पूरा बनिया था। अब बात यह है कि वो एक्सरसाइज वगैरह करता नहीं था। पर मैं देख रहा था कि पिछले कुछ दिनों से वह डेली जिम आ रहा है। तो मैंने उससे पूछा कि क्या बात है एक्सरसाइज को लेकर सीरियस हो गए। कहता है भाई महीने की हजार रुपए फीस है। दिन के ₹33 बनते हैं, आना तो पडेगा ही।
मैं बहुत हैरान हुआ। यह बंदा ₹33 कैलकुलेट करके बैठा है और इसे हेल्थ से ज्यादा पैसे की फिक्र है। तो कहने का मतलब है कैलकुलेशन इनबिल्ट होती है एक बनिए में। इसलिए यह अपने ट्रेड स्किल्स, अकाउंटिंग और फाइनेंस के लिए जाने जाते हैं। तो आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि कैसे बनिया लोग बिजनेस बिल्ड करते हैं और क्या है उनके वेल्थ सीक्रेट। तो चलिए शुरू करते हैं ।
Storyline
आप सबने इमामी कंपनी का नाम तो सुना होगा। ये बेसिकली कॉस्मेटिक्स और स्किन केयर प्रोडक्ट्स बनाते हैं। ये कंपनी किसी टाइम ₹20,000 से शुरू हुई थी और अब 8000 करोड की बन गई है और इसकी सक्सेस के पीछे हाथ है दो लोगों का। राधेश्याम अग्रवाल और राधेश्याम गोयनका।
दोनों बचपन से बहुत अच्छे दोस्त थे। स्कूल टाइम से वो साथ साथ ही रहते थे। फिर जब वो अपना कॉलेज कर रहे थे तो उन्होंने कुछ काम करने का सोचा। दोनों अब घंटों बैठकर केमिकल फॉर्मूला की बुक्स पढ़ते थे। उनका प्लान था कि हम सबसे अच्छे कॉस्मेटिक प्रोडक्ट बनाएंगे।
कॉलेज के दौरान दोनों ने बहुत सारे काम किए लाइक लूडो जैसे गेम्स बनाना, टूथब्रश बेचना, पैकेजिंग करना, होममेड ग्लू बनाना यानी वो बिजनेस से रिलेटेड कुछ ना कुछ करते रहते थे। उनके यहां एक पूरा बाजार था जहां वो अपनी चीजें सेल करते थे। अब खरीदना बेचना तो उन्होंने सीख लिया था पर कैपिटल का न होना उनके लिए एक बडी प्रॉब्लम थी।
तीन साल स्ट्रगल करने के बाद उन्हें रियलाइज हुआ कि बिजनेस को ग्रो करने के लिए थोडे बहुत पैसे तो चाहिए ही। तो उस वक्त गोयनका के फादर ने उनको ₹20,000 दिए और कहा फिफ्टी फिफ्टी पार्टनरशिप में काम कर लो। तो ऐसे उन्होंने अपना पहला बिजनेस KEMCO केमिकल्स शुरू किया। इसके बाद उन्होंने मैन्युफैक्चरिंग भी स्टार्ट कर दी। शुरू में कुछ महीने सब कुछ बढ़िया चल रहा था। पर साल के खत्म होते होते उनके ₹20,000 भी खत्म हो गए।
उन्हें पता ही नहीं चला कि पैसे गए कहां। फिर उन्होंने इस सेटबैक से सीखा और अकाउंटिंग को सीरियसली लेना स्टार्ट किया। अब एक बार फिर वो गोयनका के पिताजी के पास गए और इस बार उन्हें पूरे ₹1 लाख मिले। पर अब फेल होने का कोई चांस नहीं था तो उन्होंने प्रोडक्ट्स पर बारीकी से काम किया और इस बार KEMCO केमिकल्स को बहुत तगड़ी ग्रोथ देखने को मिली। काम उनका अच्छा चल पडा था पर मार्जिन बहुत लो थे।
उन्हें पूरे पूरे कार्टन सिर्फ ₹36 मार्जिन पर बेचने पड़ रहे थे। तो कुछ साल तक तो ऐसे ही चलता रहा। पर बाद में दोनों को समझ आया कि अगर बिजनेस को बडा बनाना है तो आउट ऑफ द बॉक्स सोचना पडेगा। प्रोडक्ट और मार्जिन दोनों को इम्प्रूव करना पडेगा। तो एक बार फिर से दोनों रिसर्च में लग गए और उन्हें पता चला कि उस टाइम इंडिया में फॉरेन ब्रांड्स का बहुत क्रेज था।
लोग इंपोर्टेड कॉस्मेटिक्स को ज्यादा पसंद कर रहे थे, पर इंपोर्टेड प्रोडक्ट्स पर टैक्स भी बहुत ज्यादा लगता था, जिसकी वजह से मेजॉरिटी ऑफ पॉपुलेशन उस प्रोडक्ट को खरीद ही नहीं पाते थे। पर उन्होंने इस प्रॉब्लम में एक बडी ऑपर्च्युनिटी देखी। पहले तो उन्होंने एक लॉस मेकिंग कंपनी को एक्वायर किया, जिसका नाम था हिमानी और बाद में उसे चेंज करके बना दिया इमामी।
तो अब इस नए ब्रांड नेम के साथ उन्होंने तीन प्रोडक्ट लॉन्च किए। एक कोल्ड क्रीम, एक वेडिंग क्रीम और एक टेलकम पाउडर। लॉन्च के कुछ ही टाइम बाद प्रोडक्ट इतनी तेजी से बिकने लगे कि इमामी ब्रांड स्टैबलिश हो गया। अब ये हुआ कैसे वो जानना बहुत जरूरी है। जैसे कि हमें पता है कि उस टाइम उनके पास एडवर्टाइजिंग और मार्केटिंग के लिए तो पैसे थे नहीं तो उन्होंने ओल्ड वाइन को नई बोतल में सेल किया। कहने का मतलब पैकेजिंग को पूरी तरह से चेंज कर दिया।
उस टाइम में अगर देखा जाए तो टेलकम पाउडर टिन के कंटेनर में सेल होता था। पर उन्होंने इंडिया में पहली बार टेलकम पाउडर को एक प्लास्टिक कंटेनर में पैक किया और उस पर फोटो लेबल भी लगाया, जिससे प्रोडक्ट बहुत ज्यादा अट्रैक्टिव बन गया। अब लोगों को ये लगने लगा कि ये प्रोडक्ट फॉरेन से इंपोर्ट हुआ है इसलिए ये वाला प्रोडक्ट सबसे ज्यादा सेल हुआ और इस पर उन्होंने मार्जिन भी बहुत हाई रखा।
क्योंकि उस समय इंडिया में एमआरपी यानी मैक्सिमम रिटेल प्राइस जैसी कोई चीज थी ही नहीं। आप जो प्राइस चाहो प्रिंट करवा सकते थे। तो ये एक बडा एडवांटेज रहा था उनके पास और कुछ इस तरह से उन्होंने इमामी को इंडियन मार्केट का एक बहुत बड़ा ब्रांड बना दिया। तो चलो अब जानते हैं कुछ बिजनेस लेसंस के बारे में जो बनिया कम्युनिटी से सीखना चाहिए।
1. Market Knowledge
एक बनिया कस्टमर को पूरी तरह से स्टडी करता है। उसकी इच्छा, जरूरत और बिहेवियर सब कुछ जान लेता है। इसलिए वो सही प्रोडक्ट और सर्विस को मार्केट में ऑफर करता है। ध्यान से देखोगे तो पता चलेगा कि इमामी के फाउंडर्स ने भी यही किया था। उन्होंने पहले समझा कि कौन सा कॉस्मेटिक आइटम ज्यादा बिकता है और फिर उसे बनाना शुरू किया।
अब मार्केट नॉलेज की बात हो रही है तो कॉम्पिटिटर्स को मिस नहीं कर सकते, क्योंकि एक बनिया अपने कॉम्पिटिटर्स पर पूरी नजर रखता है। आप कभी राशन की दुकान पर जाओ और कहो उससे कि पास वाली दुकान पर गुड़ ₹40 किलो मिल रहा है। वो तुरंत कहेगा कि हो ही नहीं सकता। भाई मार्केट का भाव ₹45 है, इससे नीचे कोई दे दे तो फ्री में ले जाना। यानी बनिए से प्राइस के मामले में बहस नहीं कर सकते। वो ऑलरेडी मार्केट की पीएचडी करके बैठा है।
वो मार्केट के ट्रेंड और इनोवेशन के हिसाब से अपने आप को ढाल लेता है, क्योंकि उन्हें पता होता है कि मार्केट में आगे वही रहता है जो कस्टमर नीड्स को समझता है। इसके अलावा मार्केट ट्रेंड्स आपको अलाउ करते हैं, इनोवेट करने के लिए, नया प्रोडक्ट बनाने के लिए और लंबे समय तक मार्केट में टिके रहने के लिए।
2. Value Preposition
इसका मतलब होता है अपने कस्टमर्स को यूनिक बेनिफिट्स और एडवांटेज ऑफर करना। इसमें कोई डाउट नहीं है कि एक बनिया अपने कस्टमर्स को वैल्यू प्रोवाइड करता है। आप अगर अपने आस पास देखोगे तो ज्यादातर बनिया आपको राशन, अनाज और डेली नीड्स की चीजों में बिजनेस करते मिलेंगे।
उन्हें अच्छी तरह पता है कि इन सब चीजों में कट थ्रोट कॉम्पिटिशन है और मार्जिन भी बहुत कम है। फिर भी वो सही प्राइस पर कस्टमर को प्रोडक्ट डिलीवर करते हैं और इसी वजह से उनका कस्टमर के साथ एक ट्रस्ट बिल्ड हो जाता है और ट्रस्ट हर बिजनेस के लिए बहुत जरूरी है। ये ट्रस्ट ही तो है जो हम हर बार सेम नाइ के पास जाते हैं, हर बार सेम जगह से राशन लाते हैं, हर बार सेम मेडिकल से दवाई लेते हैं।
और आज की डिजिटल एज में तो ये और भी ज्यादा जरूरी हो गया है क्योंकि अब हर ब्रांड की रेपुटेशन और इन्फॉर्मेशन ऑनलाइन अवेलेबल है तो ट्रस्ट तो इम्पॉर्टेंट है ही। इसके अलावा एक बनिया अपने और कस्टमर दोनों के पैसों की वैल्यू करता है। बनिया असल में ज्यादा फेमस इसलिए है क्योंकि वो हमेशा वैल्यू फॉर मनी प्रोडक्ट सेल करते हैं। जितनी हम कीमत दे रहे हैं उतना ही फायदा भी हमें मिलता है। इसलिए ये लोग लॉन्ग टर्म में कस्टमर को रिटेन करके रख पाते हैं।
3. Adaptability
बनिया हर मार्केट कंडीशन में प्रॉफिटेबल काम करते हैं क्योंकि ये बहुत ज्यादा अडेप्टिव होते हैं। इन्हें पता होता है कि मार्केट कंटीन्यूटी चेंज हो रही है। ये टेक्नोलॉजी से लेकर कस्टमर बिहेवियर तक हर चीज को समझकर अपनी स्ट्रैटेजी को चेंज कर देते हैं। और ठीक ऐसा ही किया था दोनों राधेश्याम फ्रेंड्स ने भी। उन्होंने देखा, मार्केट में फॉरेन प्रोडक्ट्स की डिमांड है, तो चलो पैकेजिंग फॉरेन प्रोडक्ट्स जैसी कर देते हैं।
ये लोग काम करने के लिए मार्केट स्टडी करते हैं और अपना दिमाग सिर्फ पैसे गिनने में लगाते हैं। एक बनिया नई सिचुएशन के लिए जितना तैयार होता है, उतना ही वो अनसर्टेन सिचुएशन के लिए भी तैयार रहता है। उसे अच्छी तरह पता है कि कभी बिजनेस अच्छा चलेगा तो कभी बुरा भी चलेगा। इसलिए उसके पास हमेशा कुछ कैश रिजर्व, कुछ साइड इनकम और कुछ एसेट्स तो रहते ही हैं।
इसलिए आप देखोगे इस देश में व्हाइट मनी कैश के फॉर्म में सबसे ज्यादा बनियों के पास होती है। इसके साथ एक और चीज जो आप बनिया लोगों में नोटिस करोगे वो है कल्चरल सेंसिटिव होना। मेनली ये लोग अपने आसपास के लोकल मार्केट और कुछ नियरबाय लोकेशंस पर ही बिजनेस करते हैं, क्योंकि इन्हें अपने कल्चर से लगाव होता है।
पर कुछ लोगों को बिजनेस एक्सपैंड करने का शौक भी होता है तो वो नई जगह के कल्चर को भी अडॉप्ट कर लेते हैं। इसके अलावा एक बनिया उसी बिजनेस में हाथ डालता है जो कई सालों तक सस्टेन हो सके। इसलिए आप देखोगे ज्यादातर बनिया डेली नीड्स का सामान बेचते हैं क्योंकि उन्हें अच्छी तरह पता है कि इंसान चाहे कहीं भी पहुंच जाए, मार्केट चाहे कितनी भी डाउन चली जाए।
लोगों को हाथ धोने के लिए साबुन और दांत साफ करने के लिए टूथपेस्ट तो चाहिए ही, उसमें कंप्रोमाइज नहीं हो सकता और जो चीज हर हाल में बिकेगी, वो बिजनेस हर हाल में चलेगा।
4. Financial Discipline
एक बनिया हमेशा अपने फाइनेंस का बजट और प्लान बनाकर रखता है। उसे अपनी इनकम और एक्सपेंस की क्लियर अंडरस्टैंडिंग होती है। इसके अलावा वो कभी भी उधार नहीं लेता। वो बेसिकली अपने कैपिटल से ही काम करता है। बिजनेस को एक्सपैंड करने के लिए शायद थोड़ा बहुत पैसा उधार ले ले पर अपनी लग्जरी और लाइफस्टाइल के लिए कभी लोन नहीं लेते।
और आज के मॉडर्न टाइम में ये और भी ज्यादा जरूरी है। क्योंकि बैंक और क्रेडिट कार्ड कंपनी कंटीन्यू आपको क्रेडिट पर चीजें खरीदने के लिए मजबूर कर रही है। ऐसे में अगर किसी को क्रेडिट कार्ड का सही यूज करना न आता हो तो वो इस क्रेडिट के ट्रैप में फंसकर रह जाता है और इसीलिए एक बनिया इन सब चीजों से दूर ही रहता है। इसके अलावा बनिया कभी भी प्रॉफिट को एकदम से निकालता नहीं है।
वह प्रॉफिट को बिजनेस में इनवेस्ट कर देता है। क्योंकि प्रॉफिट अगर हम रिसर्च, डेवलपमेंट, न्यू प्रोडक्ट लॉन्च और इंफ्रास्ट्रक्चर बिल्ड करने में लगाएंगे तो एक सस्टेनेबल बिजनेस बिल्ड हो जाएगा। साथ ही एक और क्वालिटी आपको इन लोगों में देखने को मिलेगी और वो है फाइनेंशियल ट्रांसपेरेंसी। बनिया लोग अपने अकाउंट को ट्रांसपेरेंट और एक्यूरेट रखते हैं।
वो घपलेबाजी नहीं करते और इसका कारण ये है ,एक तो आपके प्रॉफिट एंड लॉस अकाउंट बैलेंस शीट ये सब आपके बिजनेस की सही वैल्यू बता देंगे। दूसरा, इससे उन सभी लोगों के साथ एक ट्रस्ट बिल्ड होता है, जो बिजनेस से जुड़े हुए हैं जैसे स्टेकहोल्डर्स, इनवेस्टर्स, क्रेडिटर्स और कस्टमर्स। अब फाइनेंशियल डिसिप्लिन में एक सबसे जरूरी चीज होती है टैक्स।
एक बनिया अच्छी तरह जानता है कि टैक्स को लीगली कैसे बचाना है। एक तो ज्यादातर बनिया अपना बिजनेस करते हैं, इसलिए उन्हें डायरेक्टली टैक्स पे ही नहीं करना पडता क्योंकि वो और लोगों के लिए इम्प्लॉयमेंट क्रिएट कर रहे हैं। दूसरा उन्हें टैक्स इंसेंटिव मिलते हैं, डिडक्शन मिलते हैं और तो और वो क्रेडिट भी ले सकते हैं टैक्स बर्डन को रिड्यूस करने के लिए।
5. Diversification
बनिया कभी भी बिजनेस को एक्सपैंड करने से नहीं डरता। वो पहले एक बिजनेस को ग्रो करेगा, बाद में अलग अलग सेक्टर जैसे , बैंकिंग, इंडस्ट्रियल इन सब में पैसा लगाएगा ताकि जब इकॉनमी में डाउनफॉल आए तो कोई तो सेक्टर ग्रो करेगा और वहीं से यह अपना लॉस कवर कर लेते हैं।
देखा जाए तो डायवर्सिफिकेशन एक पोर्टफोलियो की तरह है। जैसे आपने मानो अपने इनवेस्टमेंट पोर्टफोलियो में कुछ पैसे डिबेंचर्स में लगाए, कुछ कंपनी के शेयर खरीदने में और कुछ आपने लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट में लगाएं। ऐसा करने का पर्पस यह है कि तीनों में से अगर किसी 1 में भी लॉस हुआ, तो बाकी दोनों उसे कवर कर देंगे।
ठीक इसी तरह एक बनिया बिजनेस में डायवर्सिफिकेशन करता है, ताकि एक बिजनेस में लॉस हो तो दूसरा उसे कवर कर दे। अब ऐसा नहीं है कि ये किसी भी नए बिजनेस में मुंह उठाकर घुस जाते हैं। नहीं, यह सिर्फ उन्हीं बिजनेस में पैसा लगाते हैं, जिनकी इन्हें नॉलेज होती है या फिर यह पहले पूरी रिसर्च करेंगे, नॉलेज लेंगे और बाद में इनवेस्ट करेंगे। तो दोस्तों आज के इस आर्टिकल में बस इतना ही। अंत तक पढ़ने के लिए धन्यवाद।
Disclaimer: यह लेख केवल सूचना और शिक्षा के उद्देश्य से है और किसी भी प्रकार से वित्तीय सलाह नहीं है। यह लेख आपकी वित्तीय स्थिति, निवेश योजना या किसी भी वित्तीय निर्णय के लिए व्यक्तिगत सलाह प्रदान नहीं करता है। यदि आपको वित्तीय सलाह की आवश्यकता है तो कृपया इस लेख के बदले किसी पेशेवर वित्तीय सलाहकार की सलाह लें। कृपया कोई भी व्यक्तिगत वित्तीय निर्णय लेने के लिए हमारे द्वारा प्रदान की गई किसी भी जानकारी का उपयोग करने से पहले अपना स्वयं का शोध करें। हम किसी भी वित्तीय हानि के लिए जिम्मेदार नहीं होंगे।