भारतीय युवाओं की पैसे से जुड़ी 6 गलतियाँ जो उन्हें गरीब बना रही हैं- Finance In Hindi

Finance In Hindi: दोस्तो एक रिपोर्ट के अकॉर्डिंग अगर आपको भारत के टॉप 1% लोगों में आना है तो आपकी नेटवर्थ 1 करोड़ ₹45 लाख होनी चाहिए। पर इंट्रेस्टिंग बात तो ये है की इंडिया के एक salaried  employee  अपने पूरे जीवन में ये अमाउंट अचीव तक नहीं कर पाता है। इस रिपोर्ट के अकॉर्डिंग 81% इंडियन यूथ महीना खत्म होने से पहले अपना सारा पैसा खर्च कर देते हैं। 

और तो और कुछ नवाबजादे ऐसे भी होते हैं जो 15 दिन के अंदर अंदर ही अपना सारा पैसा उड़ा देते हैं और बाकी के 15 दिन उधारी पर जीते हैं तो इसमें 1 करोड़ तो छोड़ो 10,000 भी बचा लेना भी बहुत है और टॉप  1% तो  इम्पोसिबल ही है। तो आखिर इसका रीजन क्या है? तो दोस्तों ,इसका रीजन है poor management of money. 

हमारा आज का मिडिल क्लास यूथ कुछ ऐसी चीजों की चपेट में आ चुका है जहां उसे पैसा खर्च करना बहुत जरुरी लगता है और इसी वजह से एक यंग लड़का जिसके मां बाप उसे एक बड़ा आदमी बनते देखने का सपना देखते हैं वो बुरी तरीके से इस मिडिल क्लास ट्रैप में फंस जाता है। और जहां पर हमारे पेरेंट्स पैसों को सही से मैनेज करते थे, आज का ये युवा अब बिना सोचे समझे पैसे उड़ाये जा रहा है। 

Financial Education in Hindi


तो आइये जानते हैं आखिर ऐसी कौन कौन सी money mistakes हैं जो आज की यंग जनरेशन को एक ट्रैप की ओर धकेल रही हैं जिससे निकल पाना उनके लिए बहुत मुश्किल होता जा रहा है। साथ ही इस आर्टिकल के अंत में हम ये भी जानेंगे की इन मिस्टेक्स को कैसे ठीक किया जा सकता है और अपने यूथ को सेव करके हम financial freedom अचीव कर सकते हैं। 


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1.Not saving enough. 

दोस्तों सबसे बड़ी गलती जो आजकल यूथ कर रहा है वो है टाइम को for granted लेना। इन्हें लगता है सब कुछ बाद में हो जाएगा। पहले अपने आप को तो अच्छा बना लूँ     और इसी चक्कर में अपनी सैलरी का 100% अमाउंट स्पेंड कर बैठते हैं जिसका अंजाम क्या हो सकता है उसे हम एक उदहारण से समझते हैं। 

लोकेश 25 साल का लड़का है जो दिल्ली जैसे शहर में एक डिसेंट मिडिल क्लास सैलरी earn कर रहा है। और लोकेश का मानना है ज़िन्दगी आज में जीनी चाहिए। इसलिए पहले दिन से जब उसके हाथ में पहली सैलरी आई थी तबसे वो पैसा खर्च करने में कोई second thought नहीं रखता था। 

शुरूआत में तो लोकेश शौकिया ये काम करता था पर बाद में उसके पास इतने सारे खर्चे आ गए कि ₹35,000 महीना कमाने के बाद भी महीने के अंत तक उसके पास कुछ नहीं बचता था। अब लोकेश को लगा यार ये सारे खर्चे तो जरुरी हैं, और अच्छी लाइफ भी जीनी है ,अच्छा खाना पीना भी खाना है अगले महीने फिर सैलरी आ जाएगी तब सेव कर लेंगे। 

लोकेश 10 साल तक यही पैटर्न फॉलो करता रहा पर दुर्भागयवश उसके घर में एक इमरजेंसी आ गयी  जिसके लिए उसके पास कुछ भी नहीं बचा था । फैमिली की नीड्स बढ़ जाती है पर उसके पास कुछ नहीं था। घर बनाने की डिमांड आ जाती है पर लोकेश के पास कुछ नहीं होता है और इसी वजह से वो सहारा लेता है लोन्स का जो उसके लिए दूसरा नरक का द्वार खोल देता है। 

अगर अपनी 20s  की स्टार्टिंग में ही लोकेश कुछ पैसा सेविंग करता तो उसके पास इमरजेंसी के लिए, फैमिली की खुशियों के लिए पैसा रहता। दोस्तों , इंडिया एक ऐसी कंट्री है  जिसमे मेडिकल इन्फ्लेशन रेट पूरी दुनिया में सबसे हाई 14 %, एजुकेशन इंफ्लेशन 12 % , होम और रीयल इस्टेट प्रॉपर्टीज की तो बात ही मत करो। 

अब भारत जैसे देश में अगर आप शुरुआत से ही सेविंग नहीं करते, फाइनेंशियल प्लानिंग नहीं करते, तो आगे चलकर ये मेडिकल और एजुकेशन इन्फ्लेशन बहुत दिक्कत देती है और वही गलती आज का यूथ कर रहा है। दोस्तों ,सही तो यही है की सेविंग्स पर ज्यादा फोकस करो, वरना आपका भी हाल लोकेश के जैसा हो सकता है।


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2. Investing Late

अगली सबसे बड़ी गलती ignoring investment और इन्वेस्टिंग लेट। आज का युवा बहुत जागरूक है उसे सब पता है। Gen Z लोगों का जमाना है ये हर लेवल पर एक कदम आगे है। सब कुछ ठीक है, बस एक दिक्कत है और वो है they dont act । आज का यूथ जानता तो सब कुछ है पर हर चीज टालता है और इसी वजह से वो कितनी अहम चीजों को नजरअंदाज कर देता है जो उसके लिए वरदान साबित हो सकती है। और उसमे से एक है power of compounding। देर से इनवेस्टिंग करना आपके लिए कितना बड़ा loss  साबित हो सकता है आओ समझता हूं। 

राहुल और शरद 21 साल के दो यंग लड़के थे। कॉलेज खत्म होते ही दोनों ने कॉरपोरेट कल्चर चूज किया और अच्छा बैकग्राउंड होने की वजह से दोनों की अच्छी कंपनी में जॉब भी लग गई और महीने की वो ₹40,000 कमाने लगे। पर दोनों में से राहुल पैसों के मामले में बड़ा ही खुले विचारों वाला था।

उसे पैसा मैनेज करना तो आता था, savings भी आती थी पर उसे बाहरी चीजों का बहुत शौक था। सैलेरी मिलते ही राहुल ने डिसाइड किया था कि वो मार्केट में आया नया आइफोन लेगा। शरद ने समझाया कि पहले इन्वेस्टिंग स्टार्ट करो और फिर कहीं और पैसा खर्च करना। पर राहुल ने सोचा अभी तो बहुत टाइम है इन्वेस्टिंग के लिए , इन्वेस्टिंग तो चार पांच साल में शुरू कर सकते हैं। अभी पहले आइफोन ले लेते हैं और इसे यूज़ करते हैं। उसने आईफोन ले ही लिया ₹6000 की मंथली EMI पर। 

वहीं दूसरी तरफ शरद ने सैलरी में से कुछ अमाउंट सेव भी किया और इंडेक्स फंड में मंथली छह हज़ार रुपए की SIP भी करवाई। स्टार्टिंग में उसे ठीक ठाक रिटर्न मिले पर वो इन्वेस्ट करता रहा और 25 साल की उम्र तक उसके पास 5 लाख तक की मोटी रकम इकट्ठा हो गयी थी । ये देख के राहुल को भी लगा कि चलो अब  इन्वेस्टिंग करनी चाहिए। 

उसने भी 25 की एज में इंडेक्स फंड में छह हज़ार की मंथली एसआईपी करवाई। अब 35 की एज तक अगला कंपेरिजन देखो तो 15 साल तक इन्वेस्ट करने की वजह से शरद के पास 12% एवरेज सीएजीआर की मदद से 327000 हज़ार रुपए हो चुके होंगे। वही राहुल जिसने इनवेस्टिंग से पहले आईफोन को चूस किया था  35 की एज तक उसकी वेल्थ होगी मात्र 13 से 14 लाख रुपए। यानी आप देखें तो सिर्फ पांच सालों के फर्क से शरद की वेल्थ राहुल की वेल्थ से डबल से भी ज्यादा हो गई है। so investing first ,than spend rest of your money.   


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3. Over Use of Credit Cards

एक  रिपोर्ट के अकॉर्डिंग पता लगा कि इंडिया में अगस्त के महीने में डेढ़ लाख करोड़ रुपए क्रेडिट कार्ड के तौर पर खर्च किए जा चुके हैं। आज का युवा इन क्रेडिट कार्ड और पोस्टपेड वाली स्कीम्स में इतनी बुरी तरीके से फंस गया है कि अब उसे ये लोन और ईएमआई अपनी  जरूरत लगने लग गई। सेविंग्स इनके पास नहीं है, इन्वेस्टिंग इन्हें करनी नहीं है पर खर्चे वो पूरे करने हैं, जी भर के करने हैं। 

आजकल लोग सिर्फ मेडिकल इमरजेंसी, एजुकेशन के लिए या घर के लिए लोन्स नहीं ले रहे बल्कि अपनी हर छोटी बड़ी जरूरतों के लिए लोन ले रहे हैं। यानी सिंपल सा मंत्र है  क्रेडिट कार्ड स्वाइप करो और ऐश करो। आज के टाइम पर इंडिया में चार हज़ार 72 करोड़ का क्रेडिट कार्ड डिफॉल्ट है। यानी की इतना पैसा लोगों ने नहीं चुकाया है। अरे भई, इतनी तो कई अफ्रीकन कंट्रीज की जीडीपी भी नहीं है, जितने यहां लोग डिफॉल्ट करके बैठे हैं। 

अभी होता क्या है कि लोग क्रेडिट कार्ड का यूज तो कर लेते हैं पर टाइम पर पेमेंट न करने की वजह से डिफॉल्ट के बुरे ट्रैप में फंस जाते हैं। तो दरअसल, ये क्रेडिट कार्ड सिस्टम वर्क कैसे करता है, आपको समझता हूं। फोर एग्जाम्पल के लिए सनी नाम के एक आदमी ने जिसने क्रेडिट कार्ड से ₹10,000 का शॉपिंग करी और जब क्रेडिट कार्ड का बिल आया उसमें लिखा था अगले महीने की 15 तारीख तक आपको ये बिल पे करना है। 

अब सनी ने सोचा 15 तारीख तक तो बहुत टाइम है मैं आराम से पैसा जमा करके पेमेंट कर दूंगा। अब हुआ क्या कि वो पैसा सेव करने में थोड़ा सा लेट हो गया जिसकी वजह से उसके 10,000 पर लेट फीस लगी और उसने पेमेंट को ये EMI पर  पे करने का डिसाइड किया। और इसका अंजाम ये हुआ कि ₹10,000 की परचेज के लिए उसे लेट फीस और इंटरेस्ट के साथ ₹12,000 यानि की दो हज़ार रुपए एक्स्ट्रा पे करने पड़े। अब आपको लग रहा होगा कि ₹2,000 ही तो है  ज्यादा कहां पर है। 

तो अगर आप इन ₹10,000 की FD करवाते हैं तो दो साल बाद आपके ₹12000  हज़ार रुपए हो पाएंगे। यानि की FD से  2000 कमाने में आपको दो साल लग जाएंगे जो आपने एक महीने में एक्स्ट्रा दे दिए और पैसा सेव न कर पाने की वजह से लोग पेमेंट्स में डिफॉल्ट कर बैठते हैं। 

और loan का अमाउंट repay नहीं करते जिस वजह से ये मामूली सा दिखने वाला अमाउंट इतना ज्यादा हो जाता है कि आपके ऊपर लीगल एक्शन भी लिया जा सकता है। और तो और आपका सिबिल स्कोर भी बहुत खराब हो जाता है जिससे की फ्यूचर में आपको लोन लेने में बहुत ही मुश्किल हो सकती है। इसलिए क्रेडिट कार्ड का यूज बहुत ही सोच समझकर करें। 


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4.  No Emergency Funds

जैसे की इसका नाम ही इमरजंसी है तो यह कभी भी बता के नहीं आती। आजकल मेडिकल इमरजेंसी हो या किसी कंपनी ने लोगो को निकाल दिया ये आम बात हो गई है। अब जिन कंपनीज में इंडिया का मिडिल क्लास यूथ हमेशा से सपना देखता था सिर्फ इसलिए क्योंकि वो वहां का वर्क कल्चर और सैलरी पैकेज काफी अच्छे होते थे। 

पर कोरोना की वजह से आप सभी ने नोटिस किया होगा कि बहुत सी कंपनीज ने इम्प्लॉइज को निकाला है और उन लोगों की कंडीशन आज तक खराब है क्योंकि उनके पास कोई भी इमरजेंसी फंड नहीं था। एक रिपोर्ट के अकॉर्डिंग इंडिया में 75% पॉपुलेशन के पास कोई इमरजेंसी फंड नहीं है और ये पॉपुलेशन उन्हीं मिडिल क्लास लोगों की है जो इन सब चीजों को फालतू का खर्च समझते हैं। 

इमरजेंसी फंड बनाया ही उस मोमेंट के लिए जाता है जब आपके सामने एकदम से कोई मुश्किल सिचुएशन आ जाए जैसे की इनकम का कम हो जाना, नौकरी चली जाना, कोई डिसेबिलिटी या फिर मेडिकल इमरजेंसी आ जाना। तो सुनने के लिए आपके पास एक इतना अमाउंट होना चाहिए जिससे की आपके मंथली एक्सपेंसेज अच्छे से कवर हो सके। 

आपका इमरजेंसी फंड उतना होना चाहिए जिससे की आपकी EMI , डेली एक्सपेंसेज, यूटिलिटीज और मेडिकल एक्सपेंसेज कवर हो सके वो भी अगले छह महीनों के लिए। उदहारण के लिए इन सभी एक्सपेंसेज को मिलाकर आपके महीने का खर्चा अगर बनता है ₹35,000 तो आपके पास इमरजंसी फंड में छह महीने का यानि की 6 x 35,000 जो की होते हैं ₹2,10,000 वो आपके पास होने चाहिए। 

अपनी पहली सैलरी आते ही आजकल के यूथ की टेंडेंसी रहती है फैन्सी फोन्स, कपडे और tours जबकि आपको आपके एक्सपेंसेज को ट्रैक करके पहले ही दिन से एमरजेंसी फंड के लिए थोड़ा थोड़ा अमाउंट सेव करना चाहिए। 


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5. Living Beyond Your Means 

पहले हमारे बड़े बुजुर्ग बोलते थे की जितनी चादर हो उतने पैर फैलाने चाहिए। पर आज के युवा की दिक्कत ये है की वो चादर तो बड़ी नहीं कर पा रहा पर पैर जरूर फैलाए जा रहा है ,यानि की लिविंग बियॉन्ड योर मीन्स। आज का इंडियन यूथ अपनी सैलरी से ज्यादा खर्च कर रहा है वो भी उन चीजों पर जिसकी उसे सच में जरूरत भी नहीं है। फॉर एग्जाम्पल SUV cars .  

एक डेटा के मुताबिक  इंडिया में एकदम से एसयूवी कार्स की डिमांड ऐसी बढ़ गई हे जैसे की कोई त्यौहार आ गया है। लोग आजकल घर के लिए नहीं बल्कि एसयूवी गाड़ियां खरीदने के लिए लोन लेना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। और आपको जानकर हैरानी होगी की इंडिया में व्हीकल लोन्स 137% तक बढ़ गए हैं। 

अब बात दरअसल ये है की आज के यूथ को अपनी इमेज की बहुत ही चिंता है। उसे अपने आप को बेहतर दिखाना है इसलिए वो हर खर्चे करने को तैयार है। घर नहीं ले सकते कम से कम एक लग्जरी गाड़ी तो ले ही लेते हैं ताकि समाज में इज्जत बनी रहेगी। 

सुनीता सिंह नाम की एक 30 साल की महिला के साथ यही हुआ। दरअसल सुनीता को मुंबई में एक वन बीएचके फ्लैट चाहिए था तो उसने देखा वन बीएचके फ्लैट के लिए उसे ₹90 लाख तक का लोन लेना पड़ेगा और heavy EMI का सामना भी करना पड़ेगा, वो भी 15 सालों तक। तो उन्होंने सोचा की एक एसयूवी कार परचेज कर लेते हैं जिसमें 37 हज़ार रुपए की मंथली EMI  पे करनी होगी वो भी सिर्फ पांच साल तक और उन्होने इस ऑप्शन को चूज किया। अब आप ये सोच के देखो ये डिसीजन सही हुआ फिर गलत। 

दरअसल इस चीज को प्लेसिबो इफेक्ट (placebo effect) कहते हैं। यानी आप एक प्लेसिबो यानि एक आयटम को छोड़कर दूसरा लग्जरी आयटम परचेस कर लेते हो। तो क्या सोसाइटी में दिखा सको  जरूरी नहीं कि आपको वह आइटम परचेस करना ही था क्योंकि आपको अपनी पहचान बनाए रखनी थी इसलिए आप beyond the means  स्पेंड कर बैठते हो ,वो भी ऐसी चीज़ो में जिनकी वेल्यू गिरती जाती है। आईफोन्स, लग्जरी वॉचेस और गाड़ियां आजकल के यूथ की मानो सबसे अहम जरूरत बन गयी है जिसके लिए वह अपनी किडनी बेचने को तैयार है। So Do It Below Your Means Note Beyond.


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6. Get Rich Quick Schemes

21 दिन में पैसा डबल, ये लाइन न जाने आपने कितनी बार सुनी होगी। मानो या ना मानो पर आज भी बहुत से मिडिल क्लास और स्पेशली यूथ की यही मेंटेलिटी है। इन्हें जल्दी से जल्दी अमीर बनना है पर काम नहीं करना। ऐसी स्कीम में पैसा लगाना है जहां से इनका पैसा बैठे बैठे डबल हो जाए। 

देखो अगर आप यह सोच के बैठो की हर चिराग से जिन्न निकल के आएगा तो ये पॉसिबल नहीं है। आप अमीर लोगो को देखो, उनकी स्टोरीज को देखो, अपने हरेक सेकंड को कैसे प्रोडक्टिव बनाना है, कैसे टाइम पर पैसों को सही से यूज करना है ये एक रिच इन्सान भली भांति जानता है। 

पर हमारा मिडिल क्लास उसका मानना है कि बेसिक जॉब करो और उन जगहों पर पैसे लगाओ जहां से एक साल के अंदर अंदर बंपर रिटर्न मिल जाए और जल्दी से जल्दी अमीर बन जाओ। और ऐसे ही लोगों का इन्तजार करते हैं स्कैमर्स जो बस इस ताक में रहते हैं कि कौन है जिसको कल के कल अमीर बनना है बस इससे सारा पैसा लो और फुर्र हो जाओ। 

देखो दोस्तों , शोर्ट टर्म में बेनेफिट देखकरआप कभी भी अमीर नहीं बन सकते। जैसे कि रोम एक दिन में नहीं बनता ठीक उसी तरह आपकी वेल्थ बिल्डिंग भी एक टाइम टेकिंग प्रोसेस है। इसलिए आप कोई स्ट्रेटेजी के हिसाब से इन्वेस्टमेंट करने की जरूरत है ना की किसी स्कीम में फसने की। 



तो आखिर इन गलतियों को सुधारने का सोल्यूशन क्या है? 


सॉल्यूशन नम्बर1.  स्पेंडिंग और सेविंग्स के लिए 50/20 /30  रूल को फॉलो करें। यानी अपनी सैलरी का 50% स्पेंड करो नेसेसरी आइटम्स में जैसे कि रेंट,फीस, मेडिकल एक्सपेंसेज, हाउस एक्सपेंसेज, एक्स्ट्रा। 30% स्पेंड करो अपनी जरुरत के लिए जैसे कि फूड, एंटरटेनमेंट, आउटिंग, एक्सट्रा। और २०% आपकी सेविंग्स होगी जिसे आप सोच समझ कर इन्वेस्ट करोगे। ऐसा इसलिए क्योंकि जहां आप अपने यूथ फेज में होते हैं तो हम अपनी मोस्टली पैसा अपनी इच्छाओं पर स्पेंड करते हैं जिस वजह से कभी भी कुछ सेव नहीं हो पाता। सो फोलो 50/20 /30


सोल्यूशन नंबर 2.   क्रेडिट कार्ड्स और EMI की पेमेंट के लिए Autopay का ऑप्शन सेलेक्ट करें ताकि आप अपनी पेमेंट्स में डिफॉल्ट ना करें और ट्राय करें कि जितना भी पैसा आप खर्च करें उतना पैसा आपके पास बैंक अकाउंट में पहले से ही होना चाहिए ताकि कभी भी लोन डिफॉल्ट ना हो। 


सोल्यूशन नंबर 3.  Living  below your means का फंडा अपनाएं। इससे आपको प्रजेंट में थोड़ा suffer करना पड़ेगा पर आपका फ्यूचर जरूर सिक्योर रहेगा। सोसाइटी के चक्कर में अपना पैसा मत खर्च करो बल्कि उन पैसों से इमरजेंसी फंड रेडी रखो जो आपके लिए आसानी से एक्सेसिबल हो ताकि जरूरत पड़ने पर आप उस इमरजेंसी फंड का यूज करके अगले छह महीने तक ये एक्सपेंसेज बिना किसी चिंता के चलाते रहें। 


सॉल्यूशन नंबर 4.  लास्ट और सबसे इम्पोर्टेन्ट सोल्यूशन जो आपको इन सभी मनी ट्रैप से बाहर निकाल सकता है वो है खुद पर इन्वेस्ट करना। अपना लक आप दूसरे के हाथ में मत छोड़ो, बल्कि खुद एक अल्टरनेटिव इनकम सोर्स बनाओ। बुक्स पढ़ो, किसी स्किल्स पर काम करो, जो आपको फ्यूचर में अच्छी डील्स दिला सकें। 

अपने आप को इतना इन्वॉल्व कर लो कि आपका ध्यान इन फालतू की लॉटरी सी स्कीम में ना पड़े। इंडेक्स और स्टॉक्स में निवेश करके आप अपने पैसों पर कंपाउंडिंग का मैजिक देखो। क्योंकि याद रहे हमारा गोल 1 करोड़ ₹45 लाख है और आने वाले समय में तो इन्फ्लेशन की वजह से ये अमाउंट और भी ज्यादा हो जाएगा। 

तो अब ये आपके ऊपर है कि आप जवानी में मनी मिस्टेक्स करते हो या फिर उन मिस्टेक्स को सही टाइम पर जज करके करेक्टिव एक्शन लेते हों और अपना फाइनेंशियल फ्यूचर खुद शेप करते हों 


पैसा कमाना है तो इस एक skill के Master बन जाओ

Vinod Pandey

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