क्या सच में अमेरिका ने पूरी दुनिया से छुपाया हुआ है aliens का राज़? Mysterious Facts In Hindi

 Mysterious Facts In Hindi: दोस्तो, दुनिया में कई जगह लोगों ने जब अलग अलग तरह के UFO यानी कि Unidentified Flying Object  धरती के आसमान में देखे तब ये एलियन वाली बात पूरी दुनिया में फैलने लगी। अब ये फ्लाइंग ऑब्जेक्ट कहां से आए, कहां गए किसी को नहीं पता। 

साल दर साल अजीब अजीब चीजें धरती पर देखी गई, जिनका संबंध धरती से नहीं था। ऐसे में किसी दूसरे ग्रह के प्राणी यानी एलियंस के अस्तित्व की बातें और मजबूत होती जा रही हैं। 

अब इस आग में घी डालता रहा है अमेरिका। अगर अमेरिका को देखें तो यहां एलियंस के बारे में ज्यादा जानकारी होने और उस जानकारी को छुपाने के आरोप लगाए गए हैं। आइए जानते हैं कि ऐसा क्या जानता है अमेरिका एलियंस के बारे में जो वो दुनिया से छुपा रहा है। 

Why America keep the secret of aliens hidden?


क्यों अमेरिका ने पूरी दुनिया से छुपाया aliens का राज़? 

दोस्तों अब ये तो हम सभी जानते हैं कि दूसरे ग्रह से आए लोगों को एलियंस कहा जाता है और वैज्ञानिकों को सबसे ज्यादा परेशान करने वाले सवालों में से एक यही है। जी हां, वैज्ञानिक सदियों से धरती के बाहर भी जीवन तलाश रहे हैं। लेकिन अभी तक उनके पास इस सवाल का कोई ठोस जवाब नहीं है कि एलियंस है या फिर नहीं। 

हालांकि कई लोग एलियंस और उड़नतश्तरी यानि यूएफओ अनआइडेंटिफाइड फ्लाइंग ऑब्जेक्ट को देखने का दावा करते हैं लेकिन किसी के पास एलियन से जुड़े पुख्ता सबूत हैं ही नहीं। कई वैज्ञानिकऔर रिसर्चर्स का मानना है कि अमेरिका के पास एलियन से जुड़े राज हो सकते हैं। 

कई कॉन्सपिरेसी थ्योरी में दावा किया जाता है कि अमेरिकी सरकार को एलियंस के बारे में काफी कुछ पता है। उसका एलियंस के साथ गुप्त समझौता भी है और एलियंस ने उसे उन्नत किस्म की टेक्नॉलजी भी दी है। 

अब सवाल उठता है कि अमेरिका पर एलियन से जुड़ी जानकारियां छिपाने का आरोप क्यों लगते हैं? तो इसका जवाब जानने के लिए हमें चलना होगा साल 1947 की गर्मियों में। न्यू मैक्सिको के रोजवेल इंसिडेंट में एक चरवाहे ने भेड़ चराते वक्त खेत में अजीब सा चमकता हुआ मलबा देखा। 

इसमें मेटल रोड, प्लास्टिक फॉयल, रिफ्लेक्टर और एक भारी चमकदार कागज जैसी चीजें शामिल थीं। चरवाहे को कुछ समझ नहीं आया तो उसने इसकी जानकारी पुलिस को दे दी। जिसके बाद ये खबर जंगल में आग की तरह फैल गई। अमेरिकी आर्मी वहां पहुंची और मलबे को अपने साथ ले गई।

क्यों अमेरिका ने पूरी दुनिया से छुपाया aliens का राज़?

 

सेना ने यहां तक बयान दे दिया कि उन्हें जो मटेरियल मिले हैं उनका संबंध यूएफओ से है लेकिन अगले ही दिन आर्मी ऑफिसर अपनी बात से पलट गए। उन्होंने दावा किया कि वह मलबा एक बैलून का है, जिसे मौसम संबंधी जानकारियां जुटाने के लिए उड़ाया गया था। 

इसकी फोटो भी अखबार में छपवाई गई। लेकिन जिन लोगों ने कथित यूएफओ क्रैश का मलबा देखा था, उनका कहना था कि ये वो मलबा नहीं है जो खेत में मिला था। कई लोगों ने दावा किया कि वह मलबा एलियन स्पेसक्राफ्ट का था। हालांकि आर्मी अफसर अपने गुब्बारे वाले बयान पर डटे रहे। 

अमेरिकी सरकार ने भी बाद में बकायदा बयान जारी करके मलबे को एलियन स्पेसक्राफ्ट बताने वाले दावों को खारिज कर दिया। लेकिन लोगों का सवाल था कि आखिर आर्मी अफसरों ने अपने बयान क्यों बदले। असल मलबे और अखबार में छपे मलबे की तस्वीरें अलग अलग क्यों थीं? 

क्या है Area 51 

वैसे अमेरिका और एलियंस का जिक्र छिड़ने पर एक जगह का नाम खासतौर पर आता है जिसका नाम है  एरिया 51। दरअसल, एरिया 51 असल में एलियंस से जुड़ी कई कांसपिरेसी थ्योरी का सेंटर है। ये अमेरिका का सीक्रेट मिलिट्री बेस है। सेकंड वर्ल्ड वॉर से यहीं अमेरिका अपने सबसे उन्नत किस्म के हथियार बनाता आया है। 

इसमें खतरनाक मिसाइलों से लेकर जासूसी विमान तक सबकुछ शामिल है। शायद यही वजह है कि अमेरिकी सरकार ने एरिया 51  को काफी सीक्रेट रखा हुआ है। यहां अमेरिका के भी आम लोगों को जाने की इजाजत नहीं है। 

लेकिन कई लोगों का दावा है कि एरिया 51  में एलियंस और उनसे जुड़ी टेक्नॉलजी पर काम होता है। कहा तो यहां तक भी जाता है कि यूएफओ क्रैश में एलियंस की बॉडी मिली थी, उसे भी एरिया 51  में लाया गया, जहां साइंटिस्ट उन पर रिसर्च करते हैं। 

वैसे एरिया 51 की अंदरूनी जानकारी रखने का दावा करने वालों में सबसे चर्चित नाम बॉब लेजर का आता है। बॉब ने साल 1989 में दावा किया है कि वह एरिया 51  में काम कर चुके हैं। उन्हें सरकार ने एलियन स्पेसक्राफ्ट पर काम करने के लिए हायर किया था। अगर एरिया 51 में एलियन टेक्नॉलजी होने के दावे होते हैं तो उनकी एक बड़ी वजह है स्टील्थ फाइटर। 

दरअसल, अमेरिका शीत युद्ध के दौरान सोवियत संघ की जासूसी करना चाहता था। उस वक्त सैटेलाइट जैसी चीजें नहीं थीं। तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति ड्वाइट आइजनहावर ने 1953 में मिलिट्री को भारी भरकम बजट देकर ऐसा जासूसी विमान बनाने को कहा जो रडार और एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल की पकड़ में न आए। अमेरिका ने अपना पहला ताकतवर जासूसी विमान भी बनाया। यूं तो ये काफी तेज था, फिर भी सोवियत संघ ने उसे मार गिराया। 

अब सरकार ने आर्मी पर दबाव बनाया कि वह ऐसा जासूसी विमान बनाए जिसे मार गिराना नामुमकिन हो। इस तरह बना लॉकहीड एसआर ब्लैक बर्ड जो आज भी दुनिया का सबसे तेज उड़ने वाला स्पाई प्लेन है। इसकी रफ्तार है 3400 किलोमीटर प्रति घंटा। यह 24,000 मीटर की ऊंचाई तक उड़ सकता है। 

कॉन्सपिरेसी थ्योरी का मानना है कि इतना उन्नत जासूसी विमान बनाने की तकनीक एलियन से मिली है, क्योंकि विमान रोजवेल इवेंट के कुछ साल बाद ही बने। दावा किया जाता है कि अमेरिका ने यह विमान रिवर्स इंजीनियरिंग के जरिए बनाए। 

रिवर्स इंजीनियरिंग यानी किसी चीज से उसके डिजाइन की मालूमात हासिल करना और फिर उसी को बना लेना। कई बार कंपनियां इसी टेक्नॉलजी का इस्तेमाल करके अपने प्रतिद्विंदी जैसा प्रॉडक्ट तैयार कर लेती हैं। हाइएम एशद जो कि फॉर्मर हेड हैं इजरायल स्पेस सिक्योरिटी के, वह  ये भी दावा करते हैं कि अमेरिका एलियंस से जुड़ी जानकारियां छिपा रहा है। 

उन्होंने साल 2020  में एक इंटरव्यू के दौरान कहा, एलियंस धरती पर आ चुके हैं, लेकिन वे लोग खुद नहीं चाहते हैं कि उनकी पहचान दुनिया के सामने जाहिर हो। उनका कहना है कि अभी इंसान इस सच्चाई को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है। 

हाइएम एशद ने दावा किया कि एलियंस का अमेरिका के साथ समझौता है कि वे उनकी पहचान को उजागर नहीं करेंगे। उनका कहना था, एलियंस यहां सिर्फ प्रयोग के लिए आए हैं। वे लोग भी ब्रह्मांड के तानेबाने को समझने की कोशिश कर रहे हैं। 

कहा तो यहाँ तक भी जाता है  कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी इसके बारे में जानते थे और वह इसका बड़ा खुलासा भी करने वाले थे, लेकिन उन्हें यह कहकर रोक लिया गया कि इससे दुनिया भर में दहशत फैल जाएगी।  

हाइएम एशद की बातों की तस्दीक कुछ हद तक डोनाल्ड ट्रंप के एक इंटरव्यू से भी होती है। दोस्तों इसमें उन्होंने कहा था, मैं अपने परिवार को भी नहीं बताने वाला कि बतौर राष्ट्रपति मैंने एलियंस के बारे में क्या जाना है, लेकिन वह जो कुछ भी है बड़ा दिलचस्प है। वहीं साल 2021 में भी अमेरिका का नाम उछला और दुनिया भर में एलियंस को लेकर बहस तेज हो गई है। इस परग्रही जीव के बारे में आए दिन नए नए दावे किए जाते हैं। 


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क्या ब्रह्मांड में एलियन का अस्तित्व है? 

वैज्ञानिक सालों से इस सवाल का जवाब तलाशने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अभी तक उन्हें कोई सफलता नहीं मिली है। अब इस बीच अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने एलियन को लेकर बड़ा खुलासा किया है, जिससे दुनिया हैरत में पड़ गई है। 

पेंटागन के खुलासे पर दुनिया भर के वैज्ञानिक और लोगों को यकीन नहीं हो रहा है और अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के इस बात को मानने को तैयार नहीं है। लोगों का कहना है कि एलियन और एलियन शिप यानी कि यूएफओ की जानकारी अमेरिका छिपा रहा है। 

इससे पहले भी अमेरिका पर एलियन की जानकारी छिपाने के आरोप लगते रहे। दोस्तों पेंटागन की तरफ से जांच की गई है जिसके बाद उसने कहा है कि अभी तक अंतरिक्ष से आने वाले एलियन और यूएफओ के कोई सबूत नहीं मिले हैं। 

अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन का कहना है कि अब साफ हो गया है कि धरती पर एलियन कभी नहीं आए हैं। इसके साथ ही ना ही एलियन यानों यानी कि यूएफओ ने धरती पर किसी कोने में क्रैश लैंडिंग की है। पेंटागन में बनाए गए डोमेन नाम रेजोल्यूशन ऑफिस यानी कि एएआई के डायरेक्टर की राय इसके उलट है। 

उनका कहना है कि हो सकता है कि धरती पर एलियन आए हों, लेकिन साइंटिफिक तरीके से जांच करने की जरूरत है। उनका कहना है कि बिना सबूतों के नहीं माना जा सकता है कि एक्स्ट्रा टेरेस्ट्रियल लाइफ है। उनका कहना है कि हम लगातार ऐसी चीजों की जांच कर रहे हैं। 

उनका कहना है कि बिना सबूत कैसे मान लिया जाए कि एलियन आए थे। सोनकर पैट्रिक ने कहा है कि फिजिसिस्ट के तौर पर हमें साइंटिफिक तरीके से हर चीज की जांच करनी होती है। एलियन मामलों में भी इसी तरह से जांच करेंगे और डाटा और साइंटिफिक मेथड के हिसाब से सही निर्णय होगा। 

डोमेन रिजॉल्यूशन ऑफिस का गठन, अमेरिकी मिलिट्री कैंप रेस्ट्रिक्टेड एयरस्पेस और ख़ास जगहों पर एलियन या किसी रहस्यमयी वस्तु के आने की जांच के लिए किया गया है, ताकि अमेरिका सैन्य ऑपरेशन और राष्ट्रीय सुरक्षा को कोई खतरा पैदा न हो। 

अमेरिका ने बीते साल एक सरकारी रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट में बताया गया था कि 2004 तक 140 मामलों की जानकारी मिली थी। इसमें एलियन और एलियन स्पेसशिप यानी कि यूएफओ को देखने की बात कही गई है। 

अमेरिकी मिलिट्री ने इन घटनाओं की रिपोर्ट दी थी। अब अमेरिका ने इस प्रक्रिया को अन नोटिफाइड एरियल फिनामिना यानी कि यूएपीए का नाम दिया है। इस तरह की 130 घटनाएं अलग अलग स्थानों पर हुई थी। 

इससे पहले साल 1969 में प्रोजेक्ट बुक नाम की भी ऐसी ही जांच शुरू हुई थी। इसमें 12618  बार यूएफओ नजर आए थे। दोस्तों आपको क्या लगता है कि क्या सच में एलियंस होते हैं? हमें अपनी राय कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं। 

Vinod Pandey

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