क्या आपको पता है राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में क्यों नहीं गए शंकराचार्य ? Mysterious Facts In Hindi

 दोस्तो एक बार फिर से स्वागत है आप लोगों का हमारी वेबसाइट The Comprehensive Minds में। शंकराचार्य और राममंदिर की क्या है असली कॉन्ट्रोवर्सी? क्यों इसे लेकर इतना बवाल हो रहा है कि मंदिर अभी पूरा बना नहीं और प्रतिष्ठा की जा रही है।

दोस्तों, राम मंदिर के उद्घाटन का न्योता कई लोगों को भेजा गया जिसमें कांग्रेस पार्टी भी शामिल थी लेकिन कांग्रेस ने न्यौता स्वीकार ही नहीं किया। 

उनका कहना था कि जो राम हैं वो हमारे आराध्य हैं लेकिन मंदिर का जो महिमामंडन किया जा रहा है वो पूरी तरह से पॉलिटिकल है ताकि लोकसभा इलेक्शन में सरकार को फायदा मिले। इसलिए हम मंदिर उद्घाटन में नहीं आएंगे। 

अब अपोजिशन पार्टी का इस तरह से इनकार करना तो समझ में आता है, लेकिन जब बात शंकराचार्य पर आई तो उनको लेकर विवाद उठने लगे। लोगों का कहना है कि उन्होंने भी उद्घाटन में आने से मना कर दिया। 

लेकिन इस बात में कितनी सच्चाई है और क्यों ये पूरी कंट्रोवर्सी चल रही है आज के इस लेख में मैं आपको सबकुछ बताऊंगा।  


Shankaracharya On Ram Mandir


राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में क्यों नहीं आये शंकराचार्य ?

दोस्तों अब सबसे पहले आपको ये बहुत अच्छे से मालूम है कि 22 जनवरी को राममंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हो गयी  है। यह हम सभी भारत वासियों के लिए बहुत बड़ा अवसर है । 

राम जी सैकड़ों सालों बाद वापस अपनी जन्मभूमि आएंगे और इसी के उपलक्ष्य पर सबसे यह अपील की गई है  कि अपने अपने घरों में दीपक जलाएं। इस दिन को दिवाली की तरह खुशहाली से मनाएं। 

ऐसे में इस तारीख को लेकर हर कोई खुश है। लेकिन कुछ ऐसे भी लोग हैं जिन्हें राम मंदिर का उद्घाटन पसंद नहीं आ रहा। वह अपनी नाराजगी जता रहे हैं। कुछ लोग न्योता देने के बावजूद उद्घाटन में आने से मना कर दे रहे हैं। 

यहां तक कि सोशल मीडिया पर यह खबर चारों तरफ फैल रही है कि शंकराचार्य राम मंदिर में आने से मना कर रहे हैं और इसी को लेकर आगे का विवाद भी चल रहा है। 

अब दोस्तों असल मुद्दा यह है कि विश्व हिन्दू परिषद के जो वर्किंग प्रेसिडेंट हैं आलोक कुमार उन्होंने यह कहा कि द्वारिका और श्रृंगेरी शंकराचार्य के स्टेटमेंट आए हैं। 

अब हम आपको यह बता दें कि चार शंकराचार्यों में से एक राम मंदिर के विरोध में हैं बाकी तीन सपोर्ट कर रहे हैं। ऐसे में द्वारिका और श्रृंगेरी शंकराचार्य की स्टेटमेंट आई है कि प्राण प्रतिष्ठा पब्लिक डोमेन में हैं। हर किसी को दिखाया जाएगा और हम उसका बहुत स्वागत करते हैं। 

पुरी शंकराचार्य जो कि राममंदिर के पक्ष में हैं वह कहते हैं कि हम रामलला के दर्शन के लिए जरूर आएंगे, लेकिन सही वक्त पर आएंगे। 

ऐसे में आप देख सकते हैं 4 में से जो तीन शंकराचार्य हैं वह राम मंदिर के फेवर में और उन्होंने अपना स्टेटमेंट देकर यह साफ कर दिया कि सोशल मीडिया पर जो खबरें चल रही है कि सभी शंकराचार्य राममंदिर के विरोध में हैं, वह गलत हैं। 

इस तरह की बातें लोगों को भ्रमित करने के लिए कही जा रही हैं। यहां तक कि वह लोग यह भी कहते हैं कि हम राम मंदिर उद्घाटन सेरेमनी को पूरी तरह से सपोर्ट करते हैं। 

इतना ही नहीं जो शृंगेरी पीठ के शंकराचार्य हैं तथा  भारतीय तीर्थ और द्वारका पीठ के जो शंकराचार्य हैं स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती उन्होंने तो यहाँ तक कहा है कि यह हमारे लिए बड़ी खुशी का पल है और जो लोग भी सनातन धर्म को मानते हैं उनके लिए यह बहुत ही गर्व का अवसर होने वाला है। 

ऐसे में दोस्तों बात निकलकर सामने यह आती है कि कुछ मीडिया वाले बिना शंकराचार्य की परमिशन लिए उनके स्टेटमेंट को चला रहे हैं और लोगों को भ्रमित कर रहे हैं, नफरत फैला रहे हैं। 

और इस चीज को लेकर श्रृंगेरी और द्वारिका दोनों के शंकराचार्य द्वारा रिटर्न में स्टेटमेंट दी गई है कि हमारी झूठी स्टेटमेंट फैलाई जा रही है। वह बातें कही जा रही है जो हमने कही भी नहीं है। 

सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए यह दिखाया जा रहा है कि शंकराचार्य प्राणप्रतिष्ठा सेरेमनी के अंगेस्ट हैं, लेकिन श्रृंगेरी और द्वारिका शंकराचार्य द्वारा ऐसा कोई मैसेज नहीं दिया गया। दोस्तों ये बात हम नहीं कह रहे बल्कि यह स्टेटमेंट खुद माननीय पीठों द्वारा दिए गए हैं। 


जब शंकराचार्य समर्थन में हैं तो सोशल मीडिया पर यह अफवाह क्यों फैल रही है। 

तो दोस्तों इसकी सबसे बड़ी वजह है ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती। ये इकलौते ऐसे शंकराचार्य हैं जो राममंदिर के विरोध में हैं । उन्होंने कहा कि चारों में से कोई भी शंकराचार्य मंदिर के उद्घाटन में नहीं जाएंगे, अब क्यों नहीं जाएंगे?

इसके पीछे की वजह यह बताई जा रही है कि मंदिर अभी पूरी तरह से बनकर तैयार नहीं हुआ है । मंदिर साल 2024 में पूरी तरह से बनेगा और इससे पहले ही मंदिर में राम लला का प्राणप्रतिष्ठा हो रहा है। 

ऐसे में इनका कहना है कि शंकराचार्य की ड्यूटी है कि जो भी धार्मिक स्थल हैं उनको सही तरीके से सम्मान दिया जाए। यानी जब तक मंदिर नहीं बनता तब तक वहां पर प्राण प्रतिष्ठा करने का कोई मतलब नहीं बनता। 


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इतना ही नहीं अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का यह भी कहना है कि मंदिर का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे तो मैं क्या वहां पर ताली बजाऊंगा। तो यही वह स्टेटमेंट है जो सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वायरल हुआ था। 

यानी कि दोस्तों जो शंकराचार्य हैं उनमें से एक तो क्लियरली इस चीज के विरोध में हैं पर बाकी तीन पूरी तरह से विरोध नहीं कर रहे। हालांकि अब उद्घाटन में कौन आया और कौन नहीं यह तो साफ हो गए ,लेकिन सोशल मीडिया पर इसे लेकर जो बातें चल थी , जितनी नेगेटिविटी फैलाई जा रही थी , वह सही नहीं थी। 

क्योंकि अगर देखा जाए तो शंकराचार्य अपनी जगह पर सही है। उनके अपने धार्मिक स्थल को लेकर कुछ नियम कानून हैं। वह उसी हिसाब से चलना चाहते हैं। 

जबकि देश की सरकार का मानना था कि 22 जनवरी की जो तारीख है वह प्राणप्रतिष्ठा के लिए बिल्कुल सही है। ऐसा मुहर्त हजारों साल बाद आता है। इतना ही नहीं यह जो मुहर्त है वह सिर्फ 84 सेकंड का था । 12:29 बजे पर मूरत शुरू हुआ  12 :30 पर समाप्त हो गया । 

84 सेकंड में पूरी प्राणप्रतिष्ठा करी गयी। अब दोस्तों शंकराचार्य इस चीज को लेकर खुश हुए या नहीं लेकिन आज 22 जनवरी को यह कार्यक्रम संपन्न हो गया। 

इसे पूरे जोश के साथ और विधिविधान के साथ पूरा किया गया। दोस्तों  अब उद्घाटन हो गया है तो आप इसे देखने जरूर जाइएगा। हमें पूरा यकीन है भगवान राम का भव्य मंदिर आपको एक अलग ही शांति और खुशी का एहसास करवाएगा। 

तो दोस्तों यह थी शंकराचार्य राम मंदिर के बीच की पूरी कॉन्ट्रोवर्सी जिस पर आपका क्या कहना है कॉमेंट में हमे जरूर बताइएगा।  


Vinod Pandey

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