क्या होता अगर बांग्लादेश अभी भी पाकिस्तान का हिस्सा होता, जाने 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध की हकीकत

 "मैं इंडिया को बर्बाद कर दूंगा। मैं इंडियन गवर्नमेंट को बर्बाद कर दूंगा। कोई नहीं बचेगा, कोई नहीं बचेगा। तुम उनके 30 लाख लोगों को मार डालो बचे हुए अपने आप हमारे कदमों में आ जायेंगे। हमारे लोगों को आजादी जरूर मिलेगी। ईस्ट पाकिस्तान बांग्लादेश जरूर बनेगा।" 

Mysterious Facts In Hindi: मार्च 1971 ईस्ट पाकिस्तान जो कि अब बांग्लादेश है। ईस्ट पाकिस्तान के हर एक हिंदू को ढूंढकर उन्हें खत्म करने का ऑर्डर जनरल नियाजी ने अपनी आर्मी को दिया था। आए दिन आर्मी ऑफिसर्स लोगों के घरों में घुसते और बिना कुछ सोचे समझे उनके सीने में गोलियां दागकर उन्हें मार डालते। और यह सब चल रहा था उस एक आदमी के इशारे पर, उस वक़्त के पाकिस्तानी प्रेसिडेंट Yahya Khan के इशारे पर। 

जिसने एक फरमान जारी कर रातो रात 30 हज़ार मासूम लोगों की जान ले ली। ये कहानी है आजादी के बाद के उस समय की जब पाकिस्तान दो टुकड़ों में बंट गया। ये कहानी है भारत के उन अनगिनत बहादुर जवानों की जिन्होंने अपना खून बहाकर बांग्लादेश को आजादी दिलाई। ये कहानी है बांग्लादेश के आजादी की। 

Reality of 1971 India Pakistan War


1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध की हकीकत

उनके 30 हज़ार लोगों को मार डालो। बचे हुए अपने आप हमारे कदमों में आ गिरेंगे। ये कहकर याह्या खान ने अपने ही देशवासियों के मौत का फरमान जारी कर दिया था। दरअसल इस सबकी शुरुआत हुई 1947 में हुए विभाजन के बाद, जब पाकिस्तान को ईस्ट और वेस्ट पाकिस्तान में डिवाइड किया गया। 

अब पाकिस्तानी गवर्नमेंट चाहती थी कि पाकिस्तान एक पूरा इस्लामिक देश बने और इसलिए उन्होंने वहां रह रहे हिंदू नागरिकों पर अत्याचार करना शुरू कर दिया। मंदिरों को तोड़ा गया, लोगों को पकड़कर जबरदस्ती उनका खतना कराया गया, भगवान का नाम तक लेने पर पाबंदी लगाई गई। 

pakistani destroying hindu temples


लेकिन ईस्ट पाकिस्तान की बंगाली पॉपुलेशन ने उनका साथ देने से साफ इनकार कर दिया और इसी बात से ईस्ट पाकिस्तान और वेस्ट पाकिस्तान में तनाव बढ़ने शुरू हो गए। और फिर आई वो काली रात जब पूरी दुनिया ने पाकिस्तान का एक बेहद ही शैतानी रूप देखा। 

वेस्ट पाकिस्तान के आर्मी ट्रूप्स अंधेरी रात में चोरी चुपके ईस्ट पाकिस्तान में घुस गए। उन्होंने अपने ऑपरेशन की शुरुआत ढाका शहर से की और वहां की एक बडी यूनिवर्सिटी को अपना निशाना बनाया। आधी रात को मिलिट्री ऑफिसर्स ने हॉस्टल पर हमला किया और सभी स्टूडेंट्स को घसीट कर बाहर निकाला। 

east pakistani massacre in 1971


उन्हें कॉलेज के पीछे एक खुले मैदान में ले जाया गया जहां उनके सर पर बंदूक तान कर उन्हें मैदान में खुद के लिए कब्र खोदने को कहा गया और फिर एक एक कर उन आर्मी ऑफिसर्स ने वहां मौजूद हर एक स्टूडेंट पर गोली चलाकर उन्हें मौत के घाट उतार दिया। 


एक ही रात में यूनिवर्सिटी के सात हज़ार बच्चों को बेहद ही घिनौने तरीके से मारकर दफना दिया गया। लेकिन ये तो बस शुरुआत थी। यूनिवर्सिटी में किए इस मास मर्डर के बाद आर्मी ने ढाका के और इलाकों पर हमला किया। 

घर जलाए गए, बीच बाजार में औरतों के कपडे उतारे गए, छोटे छोटे बच्चों को उनके मां बाप से छीनकर उन्हीं के सामने उन्हें गोली मार दी गई। 

ऐसी कई दर्दनाक घटनाओं से ढाका और पूरे ईस्ट पाकिस्तान में आतंक और डर का माहौल फैल गया। सिर्फ एक हफ्ते के अंदर 30,000 लोगों को बडी बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया गया। 

ऑपरेशन सर्चलाइट के इस दर्दनाक मंजर ने ईस्ट पाकिस्तान के मन में चल रही आजादी की आग को कई गुना बढा दिया और 1971 के बांग्लादेश लिबरेशन वॉर की शुरुआत हुई। 


Bangladeshi Liberation War

"ईस्ट पाकिस्तान, बांग्लादेश जरूर बनेगा"। वेस्ट पाकिस्तानी गवर्नमेंट के हाथों झूठे केस में गिरफ्तार हुए शेख मुजीब रहमान की ये शब्द ईस्ट पाकिस्तान के लिए आजादी का ऐलान बन गए। 

ऑपरेशन सर्चलाइट में हुए खूनखराबे और नुकसान के बाद ईस्ट पाकिस्तान के लोगों ने बगावत छेड़ दी। बिना किसी मिलिट्री ट्रेनिंग या हथियारों के वो पाकिस्तानी मिलिट्री से लड़ पड़े और कुछ ही दिनों में यहां मुक्तिवाहिनी नाम से एक इंडिपेंडेंट फोर्स तैयार की गई, जिन्होंने बड़ी होशियारी से पाकिस्तानी फौज पर हमला करना शुरू कर दिया। 

इसी बीच ईस्ट पाकिस्तान के कुछ पॉलिटिकल लीडर्स ने एक साथ आकर वेस्ट पाकिस्तान की जेल में बंद शेख मुजीब रहमान को अपना प्रेसिडेंट घोषित कर दिया और ईस्ट पाकिस्तान को ऑफिशियली बांग्लादेश बुलाना शुरू कर दिया। 

Refugee Camps In India

जहां एक तरफ बांग्लादेश के अनगिनत लोग आजादी की जंग लडने मुक्तिवाहिनी में शामिल हुए वहीं दूसरी तरफ लाखों ने अपनी जान बचाकर भाग जाना ठीक समझा। इसलिए इन लोगों ने बांग्लादेश छोड़ दिया और वो अपने पडोसी देश इंडिया में आकर रिफ्यूजी बनकर रहने लगे। 

रिपोर्ट्स की मानें तो इन रिफ्यूजी की संख्या 100 लाख से भी ज्यादा थी जो इंडिया के लिए एक चिंता की बात होने वाली थी। लेकिन फिर भी इंडियन गवर्नमेंट ने इन रिफ्यूजी की मदद करने का फैसला किया। 


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Pakistan Targets India

अपने आप से बातें कर रहा yahya khan एक भरी महफिल में सजावट के लिए रखे एक एक गुब्बारों को सिगरेट से फोड़ रहा था। महफिल में आए सभी मेहमान हैरान होकर उसका बर्ताव देख रहे थे और फिर उसी हालत में बडबडाते हुए वो वहां से चला गया। 

दरअसल yahya khan को पता चल गया था कि लिबरेशन वॉर में इंडिया बांग्लादेश की मदद कर रहा है और ये खबर सुनकर वो पागल सा हो गया था। 

इंडियन गवर्नमेंट का बांग्लादेश को सपोर्ट करना उसकी हुकूमत और पाकिस्तान की ताकत को खत्म कर सकता था और इसीलिए उसने अमेरिका की मदद लेने का फैसला किया और अमेरिकन प्रेसिडेंट से मुलाकात की। 

अमेरिकन प्रेसिडेंट रिचर्ड निक्सन को चाइना के साथ अच्छे पॉलिटिकल रिलेशंस बनाए रखने थे और चाइना और पाकिस्तान के अच्छे रिश्तों की वजह से उन्होंने इंडिया के खिलाफ जाकर पाकिस्तान का साथ देना ठीक समझा। 

अमेरिका को अपने साथ पाकर  yahya khan इंडियन गवर्नमेंट को धमकियां देने लगा। उसने इंडियन प्राइम मिनिस्टर इंदिरा गांधी से कहा कि लिबरेशन वॉर में बांग्लादेश का साथ देकर वो अपने देश का नुकसान कर रहे हैं। 

लेकिन जब  yahya khan ने देखा कि इंडियन गवर्नमेंट पर उसकी इन धमकियों का कोई असर नहीं हो रहा तो उसने इंडिया को सबक सिखाने का एक खतरनाक तरीका सोच लिया। इंडिया के पठानकोट एयर बेस पर एक फाइटर प्लेन मंडराने लगा और कुछ ही मिनटों में इस प्लेन से एक के बाद एक 125 किलो के कई बम एयरबेस पर फेंके गए। 

देखते ही देखते यहां का रनवे पूरी तरह डैमेज हो गया और इंडियन एयरफोर्स हाई अलर्ट पर आ गई। पाकिस्तान ने इंडिया पर हवाई हमला कर दिया था और लगभग 45 मिनटों के अंदर इंडिया की बॉर्डर क्रॉस कर वो अलग अलग इंडियन एयर बेस पर बम डाल रहे थे। 

ये पाकिस्तान की ओर से किया एक ऐसा हमला था जिससे दोनों देश में जंग का माहौल छिड़ गया। अपने देश पर हुए इस खतरनाक हमले को इंडियन गवर्नमेंट बिल्कुल भी बर्दाश्त करने वाली नहीं थी और प्राइम मिनिस्टर इंदिरा गांधी ने डिक्लेयर कर दिया कि पाकिस्तान का ये हमला उनकी तरफ से जंग का ऐलान था। 

जिसके बाद उसी रात इंडिया ने पाकिस्तान पर काउंटर अटैक कर दिया और इंडो पाक वॉर की शुरुआत हुई। इंडियन मिलिट्री फोर्स ने बांग्लादेश की मिलिट्री के साथ हाथ मिला लिया। इस समय में पाकिस्तान अमेरिका और चाइना से मदद की उम्मीद कर रहा था। 

लेकिन ये दोनों देश इस खतरनाक जंग के सिर्फ दर्शक बनकर रह गए। 13 दिनों तक चली इस जंग में खून की नदियां बही, जिसमें आठ हज़ार पाकिस्तानी और तीन हज़ार हिंदुस्तानियों ने अपनी जान गंवाई। और आखिरकार 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी आर्मी के 93 हज़ार सैनिकों ने इंडियन आर्मी के सामने अपने घुटने टेक दिए। 

इसी के साथ नौ महीने तक चले लिबरेशन वॉर का भी अंत हुआ और एक कड़े संघर्ष के बाद बांग्लादेश पाकिस्तानी फोर्सेज से आजाद होकर एक इंडिपेंडेंट देश बन गया। 

2021 में बांग्लादेश ने अपने आजादी के 50 साल पूरे किए और इसी मौके पर इंडिया का धन्यवाद करते हुए 26 जनवरी 2021 की रिपब्लिक डे परेड में बांग्लादेश आर्मी इंडियन आर्मी के साथ शामिल हुई। 

बांग्लादेश की आजादी में निभाई भूमिका के बाद इंडिया को इंटरनेशनल पॉलिटिक्स में एक पावरफुल देश का दर्जा मिला और इंडो पाक वॉर में हासिल हुई जीत से इंडियन आर्मी ने भी पूरी दुनिया में अपना नाम रोशन कर दिया। जिसमें सबसे अहम भूमिका थी इंडिया के सबसे पहले फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ की। 

Vinod Pandey

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