दोस्तों अगर आप भी चाहते हैं कि सिर्फ पांच साल काम करना पडे और फिर बाकी की जिंदगी ऐशो आराम से कटे तो आप बिल्कुल सही जगह पर आए हैं क्योंकि आज का ये आर्टिकल आपके लिए काफी ज्यादा इंपॉर्टेंट होने वाला है। क्योंकि आज मैं आपको एक ऐसे इन्वेस्टमेंट प्लान के बारे में बताने वाला हूं जिसके थ्रू आप सिर्फ पांच साल में अपना पैसा इन्वेस्ट करके करोड़पति बन सकते हैं।
जी हाँ दोस्तों बिल्कुल सही सुना आपने, आज के टाइम में ये बहुत ही इजी हो गया है बस इसके लिए एक शर्त है वो ये है कि आपको अपने माइंड को थोडा सा ओपन रखना होगा और इन्वेस्टमेंट के घिसे पिटे ट्रेडिशनल तरीकों को छोडकर मार्केट में चल रहे कंटेम्परेरी मेथड को अपनाना होगा। तभी आप जमाने के कदम से कदम मिलाकर चल पाएंगे और फाइनेंस की रेस में पीछे रहने से बच जाएंगे।
दोस्तों अब आप सोच रहे होंगे कि वो मेथड क्या है तो इसकी चिंता आप मुझ पर छोड़ दीजिए और निश्चिंत होकर इस आर्टिकल को अंत तक पढ़ें, जिससे आप अच्छे तरीके से जान पाएंगे जल्द से जल्द अमीर बनने का फॉर्मूला और कंपाउंडिंग नामक ब्रह्मास्त्र का असली मतलब। तो चलिए दोस्तों बिना देरी के उस मेथड के बारे में जानते हैं।
5 Year Investment Plan (Story)
दोस्तों इन्वेस्टमेंट प्लान और कंपाउंडिंग के मैजिक को आसान भाषा में समझने के लिए हम एक स्टोरी का सहारा लेते हैं। ये कहानी है तीन दोस्तों की। राकेश, मुकेश और जिग्नेश तीनों ही लंगोटिया यार है। यानी कि बचपन से स्कूल से लेकर कॉलेज तक तीनों की दोस्ती लगातार बनी हुई है। कॉलेज खत्म करने के बाद तीनों पैसे कमाने के लिए अपना अपना करियर चुन लेते हैं।
राकेश एक आईटी कंपनी में ₹40000 की मंथली सैलरी पर काम करने लगता है तो वहीं मुकेश सेल्समैन से अपनी जर्नी शुरू कर देता है और मंथली 30 हज़ार रूपये कमाने लगता है। लेकिन जिग्नेश इन सबसे अलग अपने फादर के बेकरी बिजनेस को रन करने लगता है। 22 साल की उम्र में तीनों की अर्निंग की जर्नी की शुरुआत तो हो जाती है, लेकिन किसी को कुछ समझ नहीं आता कि वे आखिर इन पैसों का क्या करें।
मुकेश और जिग्नेश पैसा आता देख उसे उड़ाना शुरू कर देते हैं। रोज नए नए कपड़े, पार्टी, गाडिय़ां इन सबका शौक करना शुरू कर देते हैं। लेकिन वहीं राकेश अपने पैसे से और पैसा बनाने की तरकीब ढूंढना शुरू कर देता है। काफी सारी रिसर्च करने के बाद उसे इन्वेस्टिंग और स्टॉक मार्केट के बारे में पता चलता है।
पहले शुरुआत में तो जब लोगों से राकेश ने स्टॉक मार्केट के बारे में राय ली तो लोगों ने उसे बुरी तरह डरा दिया। लेकिन जब उसने अलग अलग इन्वेस्टर्स को सुनना और उनकी किताबों को पढ़ना शुरू किया तो उसका यह डर दूर हो गया। अच्छी खासी नॉलेज इकट्ठी करने के बाद राकेश ने सोचा कि क्यों न अपने पैसों को दिन प्रतिदिन ग्रो करने की यह स्कीम वह अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें।
वो अपने दोस्त मुकेश और जिग्नेश के पास गया और उन्हें इन्वेस्टमेंट से रिलेटेड सारी चीजें समझा दी। लेकिन उन दोनों ने समझने के बजाय उल्टा राकेश पर ही हंसना शुरू कर दिया। वे बोलने लगे तू तो पागल हो गया है राकेश। यह स्टॉक मार्केट में कुछ नहीं रखा, सब कुछ फ्रॉड है। यहां लोगों के पैसे डूब जाते हैं। और वैसे भी इतने सालों तक कौन पागल है जो अपना पैसा इसमें डालता रहेगा। कल का किसे पता है कि क्या होगा? इसलिए हमारी बात मान और कल की चिंता करना छोड़ दे और आज मैं जीना सीख ले, और कुछ मजे कर यही जिंदगी है।
राकेश ने उन दोनों की यह बात सुन तो ली लेकिन उन्हें अपने दिल पर नहीं लिया और अपनी इन्वेस्टमेंट की जर्नी की शुरुआत कर दी। उसने हर महीने ₹10,000 SIP के थ्रू इंडेक्स फंड में इन्वेस्टमेंट करना शुरू कर दिया और यह इन्वेस्टमेंट उसने बिना किसी रुकावट के अगले पांच सालों तक किया और फिर उसके बाद स्टॉप कर दिया।
अब आते हैं पांच साल आगे।
पांच साल बाद राकेश की सैलरी 40,000 से बढ़कर ₹1 लाख हो जाती है। दूसरी तरफ मुकेश भी अब महीने के ₹80,000 कमा रहा होता है। तो वही जिग्नेश अपने बिजनेस को एक्सपैंड करते हुए कुछ अलग अलग जगहों पर अपनी न्यू शॉप ओपन कर देता है। लेकिन प्रॉब्लम तब शुरू होती है जब वे दोनों देखते हैं कि इतनी इनकम बढने के बावजूद भी उनके पास एक पैसा भी नहीं बच रहा है ।
और दूसरी तरफ राकेश है जिसने इन्वेस्टमेंट को पांच साल तक कंटीन्यू रखकर स्टॉप भी कर दिया और आजकल अपनी जिंदगी को बडे ही ऐशो आराम से जी रहा है। इसे देखते हुए मुकेश जिग्नेश से कहता है यार राकेश सही कहता था, हम लोगों को भी स्टॉक मार्केट में इन्वेस्टमेंट करना शुरू कर देना चाहिए ताकि हम भी अपनी लाइफ को EMI के जंजाल से निकाल सके और एंजॉय कर सके।
इस पर जिग्नेश ने मुंह बनाते हुए कहा, तू रहने दे स्टॉक मार्केट का चक्कर। ये सब फालतू के झमेले हैं। हम जैसे हैं वैसे ही ठीक है। कम से कम पैसे डूबने का डर तो नहीं है हमें। मुकेश को रियलाइज हो चुका था कि राकेश ही सही है। उसने जिग्नेश की नेगेटिविटी को साइड किया और SIP के थ्रू हर महीने ₹10,000 इंडेक्स फंड में इन्वेस्ट करना शुरू कर दिया। इस इन्वेस्टमेंट को उसने अगले सात सालों तक रेग्युलर रखा और सात साल कंप्लीट होते ही स्टॉप कर दिया।
अब आते हैं 7 साल आगे।
अब सात साल बाद तीनों ही 34 साल के हो चुके थे। जहां उनके पास बीवी बच्चे सबकी रिस्पांसिबिलिटी आ चुकी थी। फैमिली प्रेशर इतना कि जिसे झेलना बहुत ही मुश्किल हो गया था। लेकिन राकेश और मुकेश इस टेंशन से मुक्त हो चुके थे क्योंकि उन्हें पता है कि अगर अब सेविंग कम भी होगी और इन्वेस्टमेंट के लिए कोई भी पैसा नहीं बचेगा तब भी उनका फ्यूचर सिक्योर है क्योंकि वे पहले ही उतना इन्वेस्टमेंट कर चुके हैं।
दूसरी तरफ जिग्नेश के सिर पर चिंता की लकीरें पड़ चुकी थी। इन सालों में उसकी इनकम भले ही 3 से 4 गुना बढ चुकी थी, लेकिन इनकम के साथ साथ उतना ही खर्चा और जिम्मेदारी भी उसके सिर पर बढ़ चुकी थी। इसके अलावा अभी तक उसने कहीं पर पैसा इन्वेस्ट भी नहीं किया था, जिससे कम से कम उसका फ्यूचर तो सिक्योर हो जाता।
अपनी चिंता और परेशानियों से जूझते हुए जिग्नेश ने डिसाइड किया कि चाहे जो भी हो जाए अब वह भी स्टॉक मार्केट में अपना पैसा इन्वेस्ट करेगा और कंपाउंडिंग के मैजिक के थ्रू अमीर बनकर अपना फ्यूचर सिक्योर करेगा। इस तरह जिग्नेश भी अगले 21 सालों तक ₹10,000 की एक रेग्युलर SIP करना शुरू कर देता है। क्योंकि उसे लगा कि जब वे दोनों पांच और सात सालों में इन्वेस्ट करके टेंशन फ्री हो सकते हैं तो मैं अगर 21 साल करूंगा तो और भी अमीर हो जाऊंगा।
अब आते हैं 21 साल आगे।
अब आते हैं 21 साल बाद यानी कि जब तीनों लोगों की उम्र 55 साल हो चुकी है। अब तीनों दोस्त डिसाइड करते हैं कि उन्होंने जो इन्वेस्टमेंट किया है, क्यों न उसे आपस में कंपेयर किया जाए, जिससे कम से कम यह तो पता चल जाए कि किसका इन्वेस्टमेंट करने का तरीका और टाइम सबसे सही था। तो अब आती है कंपैरिजन की बारी। आइए देखते हैं क्या हुआ।
यह तो हम सभी जानते हैं कि राकेश ने ₹10,000 का मंथली अमाउंट पाँच सालों के लिए इन्वेस्ट किया और मुकेश ने सात सालों के लिए। तो वहीं जिग्नेश ने यही सेम अमाउंट 21 सालों के लिए इन्वेस्ट किया। अगर हम जनरली ऊपर ऊपर से देखें तो हमें यही लगेगा कि क्योंकि जिग्नेश ने ₹10,000 का अमाउंट मंथली लगातार 21 सालों तक इन्वेस्ट किया तो सबसे ज्यादा उसे ही रिटर्न मिलना चाहिए। लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है।
दोस्तों कंपाउंडिंग का मैजिक अमाउंट पर कम टाइम पर ज्यादा डिपेंड करता है। आइए देखते हैं कैसे। राकेश ने भले ही पांच सालों तक इन्वेस्ट किया और फिर उसे रोक दिया लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं है की उसकी ग्रोथ वहीं पर रुक गई।
राकेश ने पांच साल के बाद नया अमाउंट इनवेस्ट नहीं किया, लेकिन जो पैसे वह इन्वेस्ट कर चुका था, उन्हें उसने नहीं निकाला और लगातार इतने सालों तक उनके ऊपर कंपाउंड इंटरेस्ट का जादू चलने दिया। यही काम मुकेश ने भी किया। उसने भी अपने पैसे के ऊपर कंपाउंड इंटरेस्ट चलते रहने दिया और उसे लगातार ग्रो होने दिया।
अब आते हैं कैलकुलेशन पर।
सबसे पहले कैलकुलेट करते हैं जिग्नेश का अमाउंट। जिग्नेश ने 10 हज़ार रुपए मंथली 21 सालों तक इन्वेस्ट किए। यानी कि उसने 21 सालों में टोटल ₹25,20,000 इन्वेस्ट किए और 15 पर्सेंट के रेट के हिसाब से उसे 21 साल बाद रिटर्न के रूप में टोटल ₹1,70,26,000 प्राप्त हुए।
वहीं मुकेश ने ₹10,000 का मंथली अमाउंट सात सालों तक इन्वेस्ट किया। यानी कि उसने टोटल ₹8,40,000 इन्वेस्ट किए। 15 पर्सेंट रेट के हिसाब से 28 साल बाद मुकेश को रिटर्न के रूप में प्राप्त हुए टोटल ₹2,80,38,000।
अब आते हैं राकेश पर, जिसने ₹10,000 का मंथली अमाउंट सिर्फ पाँच सालों के लिए इन्वेस्ट किया था। यानी कि उसने टोटल ₹6 लाख SIP के थ्रू इन्वेस्ट किए थे। अब 15 परसेंट रेट के हिसाब से तीन साल बाद राकेश को मिले पूरे ₹5,93,79,000 .
तो दोस्तों देख रहे हैं आप इसे कहते हैं कंपाउंडिंग की पावर। जिस व्यक्ति ने सबसे कम टाइम के लिए सबसे कम अमाउंट इन्वेस्ट किया, इनमें उसे ही सबसे ज्यादा रिटर्न मिला। हो गए ना एकदम उल्टा। आमतौर पर लोगों को क्या लगता है कि जो सबसे ज्यादा टाइम के लिए सबसे ज्यादा पैसा इन्वेस्ट करता है उसे सबसे ज्यादा पैसा रिटर्न में मिलता है। लेकिन कंपाउंडिंग में ऐसा बिल्कुल भी नहीं है।
यहां तो जो जितनी जल्दी इन्वेस्ट करेगा और उस इन्वेस्टमेंट को जितने लंबे समय तक इन्वेस्ट रहने देगा, आखिर में उसे उतना ही ज्यादा रिटर्न और उतना ही ज्यादा मुनाफा देखने को मिलेगा। यहां अमाउंट का उतना रोल नहीं है, जितना टाइम का है। इसीलिए तो अक्सर कहा जाता है कि इन्वेस्टमेंट की कोई उम्र नहीं होती। जितना जल्दी करना शुरू कर दो, उतना ही प्रॉफिट होने के चांसेस बढते जाते हैं।
Understanding of SIP
दोस्तों स्टॉक मार्केट में आप SIP के थ्रू कई प्रकार के फंड्स में इन्वेस्टमेंट कर सकते हैं। लेकिन इन फंड्स में जो सबसे बेस्ट है वो है इंडेक्स फंड क्योंकि इसके अंतर्गत गवर्नमेंट के द्वारा उन कंपनियों को ही रखा जाता है जिनकी परफॉर्मेंस सबसे अच्छी है और जिनका नाम टॉप फिफ्टी कंपनी में आता है।
दूसरा अगर किसी कंपनी की परफॉर्मेंस बिगड़ जाए तो उसको उस ग्रुप से बाहर भी कर दिया जाता है और इसे रिप्लेस करके उस कंपनी को शामिल कर लिया जाता है जो अभी बेहतर परफॉर्म कर रही है। इस तरह आपकी चिंता ही खत्म हो जाती है की कौन सी कंपनी में इन्वेस्ट करें और कौन सी में न करें?
एक बार एसआईपी के थ्रू इंडेक्स फंड में अपनी इन्वेस्टमेंट अमाउंट लिमिट फिक्स कर दें बस उसके बाद हर महीने ऑटोमेटिक अमाउंट मार्केट की बेस्ट कंपनी के स्टॉक्स में इन्वेस्ट ही होता रहेगा और आप लॉन्ग टर्म में 13 से 15 पर्सेंट का एक बेहतर रिटर्न ले सकेंगे। दोस्तों अब आगे एसआईपी के थ्रू किए गए इन्वेस्टमेंट पर मिलने वाले रिटर्न कैसे होंगे ये तीन चीजों पर डिपेंड करता है।
- सबसे पहला कि आपने कितना अमाउंट इन्वेस्ट किया।
- दूसरा आपने वह अमाउंट कितने टाइम के लिए इन्वेस्ट किया
- और तीसरा है कि उस अमाउंट को आपने कहां पर इन्वेस्ट किया।
आज के समय में आपको एसआईपी करने के लिए लाखों के अमाउंट की जरूरत नहीं है। बल्कि आज तो आप मात्र ₹500 महीने के इन्वेस्ट करके भी अपनी एसआईपी शुरू कर सकते हो। दूसरी बात है टाइम की तो इंडिया में ज्यादातर एक्सपर्ट्स का मानना है कि लोग एसआईपी की शुरुआत तो बडे ही एक्साइटमेंट के साथ करते हैं मगर पता नहीं क्यों बीच में ही DEMOTIVATED होकर उसे बंद कर देते हैं।
इंडिया में ज्यादातर लोगों ने अपनी एसआईपी को दो साल के अंदर ही अंदर बंद कर दिया है। दोस्तों कंपाउंडिंग के पावर को देखने के लिए आपका पेशेंस रखना बहुत ही जरूरी है। तभी वो अपना कमाल दिखा पाएगी। वरना शुरू में तो आपको यही लगेगा कि आपका पैसा ग्रो ही नहीं हो रहा। एसआईपी एक लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट है न कि शॉर्ट टर्म। इसके लिए आपका लॉन्ग टर्म तक वेट करना और डटे रहना बहुत ही जरूरी हो जाता है।