Post Office FD vs Bank FD: किसमें निवेश करने से होगा ज्यादा फायदा , और किसमें हो सकता है नुकसान

Post Office FD vs Bank FD: दोस्तों , आप लोगों ने अक्सर बहुत लोगों से कहते हुए सुना होगा की बैंक में या पोस्ट ऑफिस में फिक्स डिपॉजिट मत करवाना क्योंकि हो सकता है कि आप किसी भी एक जगह पर अपने पैसे इन्वेस्ट करो और उस जगह पर आपको कम इंटरेस्ट, कम फीचर्स देखने को मिल रहे हो। ऐसे में आपका नुकसान हो सकता है। 

तो आज का यह लेख बहुत ही ज्यादा ज्ञानवर्धक और महत्वपूर्ण होने वाला है जिसका शीर्षक है पोस्ट  ऑफिस एफडी बनाम बैंक एफडी। दोनों में क्या अंतर् है, किसमे निवेश करना आपके लिए बेहतर होगा और क्यों? यह सब जानने के लिए लेख को पूरा पढ़ियेगा । 


Post Office FD vs Bank FD


Table of Contents


पोस्ट ऑफिस FD इंटरेस्ट रेट vs बैंक FD इंटरेस्ट रेट 

तो सबसे पहले बात करते हैं इंटरेस्ट रेट के बारे में। पोस्ट ऑफिस फिक्स्ड डिपॉजिट का जो इंटरेस्ट रेट है वो सामान्यतः ज्यादा होता है बैंक एफडी के मुकाबले में। लेकिन बैंक भी अलग अलग तरीके के होते हैं, तो आपको अलग अलग बैंक के हिसाब से इंटरेस्ट रेट अलग अलग देखने को मिल सकते हैं। 

लेकिन फिक्स डिपॉजिट का जो इंटरेस्ट रेट होता है वो फिक्स्ड होता है। जैसे अगर आप पांच साल के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट करवाते हैं पोस्ट ऑफिस में तो वहां आपको फिक्स्ड 7.5% का इंटरेस्ट रेट मिलता है। 


Post Office Time Deposit Acccount Interest Rates

Period Rate
1 year account 6.9%
2 years account 7.0%
3 years account 7.1%
5 years account 7.5%


लेकिन बैंक में आपको अलग अलग बैंक में अलग अलग इंटरेस्ट रेट दिया  जाता है। जैसे जो NBFC  बैंक है उन बैंक में आपको 9.4%  तक का इंटरेस्ट रेट देखने को मिल सकता है सीनियर सिटीजन के केस में। लेकिन यह बैंक  ज्यादा सेफ नहीं होते हैं। 

और अगर हम दूसरे बैंक के बारे में बात करें तो बैंक का जो इंटरेस्ट रेट होते हैं वो काफी ज्यादा ऊपर नीचे होते रहते हैं। वो मार्केट के हालातों को देखते हुए अपने इंटरेस्ट रेट को डिसाइड करते हैं। वहीं पोस्ट ऑफिस का जो इंटरेस्ट रेट होता है वो फिक्स्ड होता है। जैसे कि अगर आपने आज पोस्ट ऑफिस में फिक्स्ड डिपॉजिट करवाया जो  पांच साल के लिए लॉक हो जाएगा। वही इंटरेस्ट आपको पे किया जाएगा आने वाले पांच साल तक। 


Tax Rules on PO FD and Bank FD 

अब बात करते हैं टैक्सेशन के बारे में। तो पोस्ट ऑफिस में जो आप एफडी करवाते हैं और जो आप टैक्स सेवर एफडी करवाते हैं तो उस केस में जो इंटरेस्ट आप कमाते हैं उसके ऊपर टैक्स लगता है। लेकिन अगर आप फॉर्म 15G या फॉर्म 15H  भरते हैं तो उस केस में आपका जो टीडीएस होगा वो पोस्ट ऑफिस नहीं काटेगा। तो अगर आप टीडीएस से बचना चाहते हैं तो उस केस में आपको यह फॉर्म भरना होगा। अगर आपका कुल ब्याज 40 हज़ार या 50 हज़ार से ज्यादा है तो उस केस में आपका टीडीएस नहीं काटा जायगा। 

वहीं अगर बात करें बैंक की तो बैंक आपका टीडीएस काटता है। अगर आपका फिक्स्ड डिपॉजिट का इंटरेस्ट 40,000 या 50000  से ज्यादा हो जाता है, उस केस में अगर आपको इंटरेस्ट से बचना होता है तो इसमें भी आपको वही फॉर्म भरने होते हैं।


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लॉक-इन पीरियड 

अब बात करते हैं फिक्स्ड डिपॉजिट के लॉक इन पीरियड के बारे में। तो पोस्ट ऑफिस का जो लॉक इन पीरियड होता है, मतलब पोस्ट ऑफिस में जो आप फिक्स्ड डिपॉजिट करवाते हैं उसका लॉक इन पीरियड एक साल से लेकर के पांच साल के बीच में होता है। 

तो आपको यहां पर चार तरह की एफडी देखने को मिल जाती है। एक साल, दो साल, तीन साल और पाँच साल तक की। चार साल की पोस्ट ऑफिस में फिक्स्ड डिपॉजिट देखने को नहीं मिलती है। और वहीं अगर हम बैंक एफडी के बारे में बात करें तो बैंक एफडी आपको सात दिन से लेकर के 10 साल तक का टाइम पीरियड देती है। 


प्री मेच्योर विड्रॉल की फैसिलिटी

अब बात करते हैं प्री मेच्योर विड्रॉल के बारे में। अगर आप पोस्ट ऑफिस में फिक्स्ड डिपॉजिट करवाते हो तो उस केस में यहां पर आपको प्री मेच्योर विड्रॉल की फैसिलिटी प्रोवाइड की जाती है। मतलब आपको जब भी पैसों की जरूरत है आपको पेनल्टी देना होगा और आप पैसा आराम से निकाल सकते हो। 

वहीँ  बैंक एफडी में भी आप प्री मेच्योर विड्रॉल करवा सकते हो। आपको यहां भी थोड़ी बहुत पेनल्टी देनी पड़ेगी। उसके बाद आप आराम से फिक्स्ड डिपॉजिट अपनी तोड़ सकते हो। 


लिक्विडिटी 

अब बात करते हैं लिक्विडिटी की तो पोस्ट ऑफिस एफडी में आपको लिक्विडिटी बहुत कम देखने को मिलती है। प्री मेच्योर विड्रॉल सिर्फ एक ही ऑप्शन है। पेनल्टी के साथ आप प्री मेच्योर विड्रॉल कर सकते हो। यहां पर आपको लिक्विडिटी देखने को नहीं मिलेगी। यहां पर एक ही ऑप्शन आपको मिलेगा वो है प्री मेच्योर विड्रॉल पेनल्टी के साथ। 

लेकिन बैंक एफडी में आपको लिक्विडिटी के ऑप्शन बहुत ज्यादा उपलब्ध होते हैं। जैसे कि एफडी को दिखा कर के आप लोन ले सकते हो। वैसे लोन आप पोस्ट ऑफिस एफडी के अगेंस्ट भी ले सकते हो, लेकिन प्री मेच्योर विड्रॉल करना बहुत पोस्ट ऑफिस में ज्यादा आसान होता है। 

बैंक एफडी में आपको ऑनलाइन बहुत ज्यादा फैसिलिटी प्रोवाइड की जाती है। लेकिन पोस्ट ऑफिस में आपको बहुत ज्यादा ऑनलाइन फैसिलिटी प्रोवाइड नहीं की जाती है। पोस्ट ऑफिस में एफडी को ब्रेक करने के लिए आपको ब्रांच जाकर ही पेनल्टी के साथ प्री मेच्योर विड्रॉल करना होता है। लेकिन आपको बैंक बहुत सारे ऑप्शन उपलब्ध करवा सकता है जिससे कि आप ऑनलाइन ही घर बैठे बैठे अपनी एफडी को तोड़ सकते हो।


Safety and Security 


अब बात करते हैं सेफ्टी और सिक्योरिटी की तो पोस्ट ऑफिस के बारे में बात करें तो पोस्ट ऑफिस में जितना भी पैसा जमा करते हो वो हंड्रेड परसेंट सेफ होते हैं। उसका पैसा सीधे भारत सरकार के पास में जमा होता है। 

लेकिन बैंक में जितनी भी एफडी करवा लो चाहे वो एसबीआई ही  क्यों ना हो वो आपको सिर्फ ₹5 लाख तक की गारंटी दे सकता है। क्योंकि भारत में जितने भी बैंक जो आरबीआई के अंदर में आते हैं, जो डीआईसी से कवर्ड हैं वो सारे बैंक आपको 5 लाख तक की गारंटी देते हैं। 

जैसे कि मान लीजिए अगर आपने एसबीआई में 40 लाख की  फिक्स डिपॉजिट करवाई और मान लीजिए कि एसबीआई डूब जाता है। वैसे तो एसबीआई के डूबने के चांस बहुत ही कम है या लगभग ना के बराबर है लेकिन अगर एसबीआई डूब जाता है तो उस केस में आपके सिर्फ ₹5 लाख ही सुरक्षित हैं। और ₹35 लाख आपके डूब जाएंगे। 

लेकिन वहीं अगर आपने पोस्ट ऑफिस में फिक्स्ड डिपॉजिट करवाई होगी तो उस केस में क्या होगा, आपके 40 लाख रुपए पूरी तरह से सुरक्षित रहेंगे। उसके ऊपर भारत सरकार की गारंटी होती है। सेफ्टी के मामले में पोस्ट ऑफिस ज्यादा बेस्ट ऑप्शन है। 


Convenience

अब बात करते हैं सुलभता अर्थात आसानी के बारे में कि कौन सा ऑप्शन आपके लिए ज्यादा आरामदायक होता है।  पोस्ट ऑफिस एफडी आपके लिए सुलभ नहीं हो पाएगा। उसमें आपको बहुत ही ज्यादा लिमिटेड ऑप्शन देखने को मिलते हैं। जैसे कि अगर आपको एफडी करवाना है तो उसकी प्रोसेसिंग बहुत लंबी है। आपको FD तोड़नी  है तो भी उसकी प्रोसेसिंग बहुत लंबी है। 

वहीं बैंक आपके लिए बहुत ज्यादा आरामदायक है। क्यों? क्योंकि वहां पर आपको बहुत ज्यादा बड़े लेवल में बहुत ज्यादा ब्रांच देखने को मिल जाएगी। ऑनलाइन बैंकिंग की फैसिलिटी आपको वहां पर देखने को मिल जाती है तो ये काफी अच्छा विकल्प है। तो कन्वेंस के मामले में तो बैंक एफडी आपके लिए बेहतर रहेगा लेकिन सेफ्टी पोस्ट ऑफिस में ज्यादा मिलेगी आपको। 


अतिरिक्त सुविधाओं

अब बात करते हैं कुछ अतिरिक्त सुविधाओं के बारे में। 

  • तो पोस्ट ऑफिस में आपको बहुत ही कम अतिरिक्त सुविधाओं देखने को मिलते हैं खासतौर पर एफडी में। लेकिन हां पोस्ट ऑफिस में आपको अलग अलग तरह की स्कीम्स देखने को मिल जाएंगी जो बैंक एफडी में देखने को नहीं मिलेंगी। 
  • वहीं आपको पोस्ट ऑफिस एफडी में सेक्शन 80C  के अंतर्गत अगर आप पांच साल की फिक्स्ड डिपॉजिट करवाते हो तो आपको टैक्स में बेनिफिट भी मिल जाता है। लेकिन बैंक एफडी में आपको टैक्स में बेनिफिट देखने को मिल जाएगा, अगर आप 5 से 10 साल तक की फिक्स्ड डिपॉजिट करवाते हैं। 
  • अगर आप बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट करवाते हो तो ज्यादातर बैंक आपको सीनियर सिटीजन के लिए ज्यादा इंटरेस्ट रेट ऑफर करता है। लेकिन पोस्ट ऑफिस में ऐसा नहीं है। अगर आपको ज्यादा इंटरेस्ट रेट चाहिए। अगर आप सीनियर सिटीजन हैं तो आपके लिए सीनियर सिटीजन स्कीम बनाई गई है जिसमें आपको दो परसेंट का एक्स्ट्रा फिक्स्ड गारंटीड इंटरेस्ट प्रोवाइड किया जाता है। 


निष्कर्ष 

तो अब अगर हम निष्कर्ष पर आएं तो दोनों ही एफडी आपके लिए बेहतर हो सकती है। उनके कुछ अपने फायदे हैं और उनके अपने कुछ नुकसान है। जैसे अगर हम पोस्ट ऑफिस एफडी के बारे में बात करें तो यह आपको ज्यादा इंटरेस्ट रेट ऑफर करती है। उसके साथ साथ पोस्ट ऑफिस में पैसा इन्वेस्ट करो तो वो सारा पैसा बिल्कुल सुरक्षित है। 

लेकिन अगर हम बैंक के बारे में बात करें आपके लिए बहुत ज्यादा सुलभ हो सकता है। बैंक में आपको लिक्विडिटी बहुत ज्यादा मिलती है। मतलब जब चाहे तब आप पैसे निकाल सकते हो, डिपॉजिट कर सकते हो। तो आप अपने जरुरत के हिसाब से और अपनी रिस्क को देखते हुए और लिक्विडिटी की जरुरत को देखते हुए ये डिसाइड कर सकते हो कि आपके लिए बेहतर विकल्प कौन सा हो सकता है। 

वैसे मैं कहूंगा कि आपको अपना पैसा डायवर्सिफाइड तरीके से इन्वेस्ट करना चाहिए। कुछ पैसा बैंक में इन्वेस्ट कर सकते हैं और  कुछ पैसा पोस्ट ऑफिस में इन्वेस्ट कर सकते हैं अपनी जरुरत को देखते हुए।

Vinod Pandey

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